Saturday, June 27, 2020

बुतकुटरु

"बुतकुटरु" 

बड़ चुन -चुन के गुठियाथे 

सफा सुपा सरिख निकियाथे 

सुनत म उंखर बोली मिठाथे 

तिही पाय परधाके बिठाथे 

आनी बानी रकम के खवाथे 

कथा कहिनी गरंथ गढाथे 

पाप पुन धरम करम भेद बताथे  

सकेल दछिणा जबड गांठ पारथे 

लाद पीठ म अपन घर चले जाथे
 
मंगन मगलू बुधारु नाचथे गाथे 

सुकारो बुधारा उछाहित आरती सजाथे 

छप्पन भोग बैसाखिन हर चढाथे

लेड़गा बिचारा तस्मई बर तरसथे 

न उकर पुरखा तरे न भाग सहराथे 
 
कमिया जनमथे कमियाच मरथे 

बुतकुटरु के बात चौरासी भुगतथे

कभु ओकरेच भभकौनी वोट डारथे

नेता चुनके अपन आस लमियाथे 

घेरी बेरी अपन परोसे थारी लुसवाथे

नोहे रोटी पीटा असवासन कि भुख मेटाथे 

भोरहा म रहिथे बिचारा का करबे 
 
तीर-तखार ल अपन संउहे नरक करथे

दान-पुन करत मुरख परलोक सुधारथे 
    
 डा. अनिल भतपहरी

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