जब तुम मुस्कुराती हो तो मरहम लगता हैं जख्मों में
कट कट कर गिरते है सर दुखों की हमारी कदमों में
भूलकर दर्द सभी जीना अब सीख लिया
चैन ओ अमन हैं सब तेरी रहम ओ करमों से
बेफिक्र हुए भौरें देखों फिर से मंडराने लगे
अर्सा़ बाद खिलें फूल चमन रंज ओ भरे ग़मों से
द़ीदार ए मंज़िल हुआ कि चलना सब आसान
फूल सा लगने लगे शुल अब हमारी कदमों में ...
डाॅ. अनिल भतपहरी
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