Sunday, June 21, 2020

जब तुम मुस्कुराती हो ...

जब तुम मुस्कुराती हो तो मरहम‌ लगता हैं जख्मों में 
कट कट कर गिरते है सर दुखों की हमारी कदमों में 

भूलकर दर्द सभी जीना अब सीख लिया 
चैन ओ अमन हैं सब तेरी रहम ओ  करमों से 

बेफिक्र हुए भौरें देखों फिर से मंडराने लगे 
अर्सा़ बाद खिलें फूल चमन रंज ओ भरे ग़मों से 

द़ीदार ए मंज़िल हुआ कि चलना सब आसान 
फूल सा  लगने लगे शुल  अब हमारी कदमों में ...  

डाॅ. अनिल भतपहरी

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