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।।हुश्न-ए-नब़ी ।।
तेरा चेहरा है कि मयख़ाना मेरी आंखे हैं कि शराबी
डूबे हुए नशे में इनकी चाल बड़ी ही खराबी...
न बुत परस्ती न सजदे न कोई इबादतें
इश्क-ए-आग की दरिया में देख इनकी बरबादी ...
बनने लगे फ़िरके और ईज़ाद किए मज़हबें
ये कैसा काफ़िर सज़दे करने लगे मज़हबी ...
शागिर्द हैं अनिल लिखना -ए- तवारिखें
ओ कलंदर हुए मस्त मौला हुश्न -ए नब़ी ...
डा. अनिल भतपहरी / 9617777514
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