Saturday, June 20, 2020

हुश्न ए नब़ी



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।।हुश्न-ए-नब़ी ।।

तेरा चेहरा है कि मयख़ाना मेरी आंखे हैं कि शराबी 
डूबे  हुए नशे में इनकी चाल बड़ी ही  खराबी...

न बुत परस्ती  न सजदे  न कोई इबादतें 
इश्क-ए-आग की दरिया में देख इनकी बरबादी ...

बनने लगे फ़िरके और ईज़ाद किए मज़हबें 
ये कैसा काफ़िर सज़दे करने लगे मज़हबी ...

शागिर्द हैं अनिल लिखना -ए- तवारिखें 
ओ कलंदर हुए मस्त मौला हुश्न -ए नब़ी ...

      डा. अनिल भतपहरी / 9617777514

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