सुन कर अस़आर मेरी ओ तारिफ़ में कही
दिल कत़र के लिखे है जो दिल में लगी हैं
सच डूबाएं है ऩीब खुन-ए -ज़िगर में
तभी बिन रुके यह कागज़ में चली हैं
पढ़कर हुई ख़राब अनिल अपनी हालात
पल भर लगा कि बात अपनो में चली हैं
हैरत है सभी कि मंजर लाल क्यूं हुआ
आँसू नहीं धर-धर लहु आँखों से बही हैं
-डाॅ.अनिल भतपहरी/ 909816529
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