Saturday, May 23, 2020

संगदिल

आपके वास्ते छकड़ी हमरी 

कैसे चले संग जब राह न हो न मंजिल ।
ऐसे ही कटते जा रहे है दिन बड़ी मुश्किल‌ ।।
कोई न हमराह सच्चा न कोई हैं संगदिल ।
देख लिया दुनिया को है बड़ी तंगदिल ।।
मीत सी लगती पर है वे ज़ालिम क़ातिल ।
इस तरह से है वो मेरी जिन्दगी में शामिल ।।

बिंदास कहें -डा. अनिल भतपहरी

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