*🌻नारनौल के सतनामी एवं 1672 का विद्रोह 🌻*
*➖ आइये जानने का प्रयास करें - - -*
*➡ नारनौल* एक परिचय :
➖भारत के , *हरियाणा* प्रांत के *महेन्द्रगढ* जिला में स्थित ।जिले का *मुख्यालय* भी है ।
*➖ दिल्ली से :* 75 मील दूर ( दक्षिण पश्चिम में स्थित )
*➖जनसंख्या :*
74581 ( जनगणना - 2011 )
*➖मुख्य भाषाएं :*
हरियाणवी , पंजाबी व हिंदी ।
➖सन् 1657 में *" सतनामी संप्रदाय (SATNAMI SECT )"* की स्थापना : द्वारा - *संत वीरभान*
*➡ सतनामी संप्रदाय (SATNAMI SECT )* के पीछे की पृष्ठभूमि :
➖भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता : *हड़प्पा - मोहनजोदाडो* व *सिंधु घाटी* की सभ्यता है , जो *श्रमण संस्कृति* के नाम से विख्यात है :
*▪श्रमण संस्कृति* के : 3 मुख्य आधार :
*1 - श्रम :* मेहनत कर के जीवन यापन ।
*2 - सम :* सबको बराबरी प्रदान करना / करवाना ।
*3 - शम :* अर्थात शमन का अर्थ है - अपने *वृत्तियों* को शांत रखना , उनका *निरोध करना* ।जो व्यक्ति अपनी *वृत्तियों* को संयमित रखता है : वह *महाश्रमण* है ।
➖@ 1800 ईसा पूर्व विदेशी *आर्यों का आगमन* भारत में हुआ :
*▪श्रमण संस्कृति* के विरोध में : *वैदिक संस्कृति* का *सृजन* और *संचालन* किये ।
*▪वैदिक संस्कृति :*
*1 - ब्रह्म* को ही *मोक्ष* का आधार मानता है ।
*2 - वेदवाक्य* को ही *ब्रह्म वाक्य* मानता है ।
*3 - ब्रह्म थ्योरी* पर चलना अनिवार्य किया गया ।
➖ वैदिक संस्कृति / ब्रह्म थ्योरी के चलते : भारत के *मूलनिवासी* ( श्रमण संस्कृति वाले ) , मुख्य रूप से *तीन धड़ों* व *हजारों जातियों* में बट गये :
*▪पहला धड़ा :* ब्रह्म थ्योरी आधारित संस्कृति के *समर्थक* - इन्हें ज्यादा सहूलियतें मिली ।
*▪दूसरा धड़ा :* ब्रह्म थ्योरी आधारित संस्कृति को *नहीं मानें* , लेकिन अपने आप को *दूसरों से अलग* कर लिये ।
*▪तीसरा धड़ा :* ब्रह्म थ्योरी को *नकारते* व *विरोध* करते रहे ।
➖वैदिक संस्कृति के *संचालकों* ने : ब्रह्म थ्योरी संस्कृति के *विरोधियों* को *कड़ी से कड़ी सजा* दी ।तथा इनकों आपस में *तोड़कर* रखने का प्रयास किये / करते रहेंगे ।
*➖समय* व *परिस्थिति* के आधार पर : प्रताड़ित जातियों के *जानकार / Better Guts & BetterBrain* वाले , सभी प्रताड़ित जातियों को एक साथ ला कर , *मुकाबला* के उद्देश्य से : *संप्रदाय / पंथ / धर्म* आदि का *प्रयास* करते रहे हैं ।
➖ ऐसे ही प्रयास : *संत वीरभान जी* ( मूल गांव : *बीजासर* " नारनौल के पास " ) द्वारा , नारनौल में सन् 1657 में *" सतनामी संप्रदाय ( SATNAMI SECT )"* का *सृजन* व *संचालन* किया जाना है :
*▪सतनामी संप्रदाय में :* *एक ही जाति* के नहीं , अपितु *अनेक पीड़ित / वंचित जाति* के जागरूकों का , एक विशेष विचारधारा ( मानवतावादी / *श्रमण संस्कृति* के रक्षा ) के प्रयोजनार्थ है ।
➖इस तरह की प्रक्रिया :
*▪महामानव गौतम बुद्ध* ( 563 ई पू - 483 ई पू ) ;
*▪संत कबीरदास जी* ( 1440- 1518 ) ;
*▪गुरु रविदास जी* ( 1450 - 1520 ) ;
*▪गुरु नानक देव जी* ( 1469 - 1539 ) ;
*▪ गुरु घासीदास जी* ( 18 दिसंबर 1756 - 20 फरवरी 1850 )
- - - आदि ने भी *प्रयास* किये व *सफल* भी हुए हैं ।
➡ भारत वर्ष में : *श्रमण संस्कृति* व *वैदिक संस्कृति* ( ब्रह्म थ्योरी आधारित संस्कृति ) , *एक दूसरे पर हावी होने / भारी पड़ने* की कोशिश *तब से अब तक* होती रही है :
*➖विदेशी आर्यो* के भारत आने के *पहले* ( @ 1800 ई पू के पहले) - - - - *श्रमण संस्कृति* की दबदबा ;
*➖ विदेशी आर्यो* के भारत आने के *बाद* ( @ 1800 ई पू के बाद )- - - - *श्रमण संस्कृति* को *चुनौती* की शुरुआत , *वैदिक संस्कृति* ( ब्रह्म थ्योरी आधारित संस्कृति ) का *दबदबा बढ़ना* चालू ;
➖ आर्यो के सबसे *पुरानी* ग्रंथ *" ऋग्वेद "* ( @1200 ई पू ) लिखे जाने के बाद - - - *वैदिक संस्कृति* ( ब्रह्म थ्योरी आधारित संस्कृति ) *विधिवत* रूप से लागू ;
*➖महामानव गौतम बुद्ध* के प्रादुर्भाव ( 563 ई पू - 483 ई पू ) के बाद - - - *श्रमण संस्कृति* का दबदबा ;
*➖ मौर्य शासक सम्राट अशोक* ( 304 ई पू - 232 ई पू ) द्वारा *कलिंग युद्ध से सबक* के बाद - - - *श्रमण संस्कृति* के दबदबा में *आशातीत* बढ़ोतरी ;
*➖मौर्य शासक बृहद्रथ* की हत्या - *पुष्प मित्र सुंग* द्वारा : ( @180 ई पू ) के *बाद* - - - *वैदिक संस्कृति* ( ब्रह्म थ्योरी आधारित संस्कृति ) की *दबदबा* ;
*▪मनुस्मृति* - सुमति भार्गव के द्वारा लिखित ( @ 170 ई पू - 150 ई पू ), लागू होने के बाद - - - *वैदिक संस्कृति* ( ब्रह्म थ्योरी आधारित संस्कृति ) *सख्ती* से लागू ;
*➖आदि शंकराचार्य* के प्रादुर्भाव ( 788 ई - 820 ई ) के बाद - - - *आधुनिक बाह्मण दर्शन* ( ब्रह्म थ्योरी आधारित संस्कृति ) *नये सिरे* से निर्धारित / परिभाषित :
*" बिना सांस्कृतिक एकता के , बिना विचारों के एक छत्र साम्राज्य के राजनीतिक एकता टिकाऊ नहीं है ।राजनीतिक एकता के मूल में सांस्कृतिक एकता चाहिए । सांस्कृतिक एकता हुयी तो ,राजनीतिक एकता के लिए प्रयत्न करने वाले वीर जन्म ले सकते हैं । सांस्कृतिक एकता के होते , राजनीतिक विभिन्नताएं भी राष्ट्र का गला घोंट नहीं सकतीं ।"*
-- आदि शंकराचार्य
*➖ आर एस एस* की स्थापना ( 27 सितंबर 1925 ) के बाद - - - आदि शंकराचार्य के *" ब्राह्मण दर्शन "* पर *सत प्रतिशत* अमल शुरू ;
*➖भारतीय संविधान* ( 26 जनवरी 1950 ) के लागू होने के बाद - - - सैद्धांतिक रूप से *मनुस्मृति पर रोक* लेकिन *व्यवहार* में , *वैदिक संस्कृति* ( ब्रह्म थ्योरी आधारित संस्कृति ) और *श्रमण संस्कृति* ( भारतीय संविधान आधारित संस्कृति ) में *टकराव जारी* ।
*➡ सन् 1657* में : *संत वीरभान जी* ने अपने भाई *संत जोगीदास जी* के सहयोग से , *नारनौल* में *" सतनामी संप्रदाय (SATNAMI SECT ) / सतनाम पंथ "* की नींव डाले :
" जिन्हें ( *Followers* को ) *मुडिया* भी कहते थे ;"
*➖उधोदास जी* ( जो श्रमण संस्कृति के महामानवों से , खास कर *" बेगमपुरा माडल "* से प्रभावित धे ) से *प्रेरणा* मिला था ;
*➖नारनौल सतनामी संप्रदाय* की मान्यताएं :
▪अंधविश्वास व रूढ़ीवाद के *सख्त विरोध* ;
▪मूर्ति पूजा के *विरोधी* ;
▪जाति प्रथा के *विरोधी* ;
▪शरीर व मन की *शुद्धता* ;
▪सच और सदाचारी ;
▪धन व संपत्ति पर *लालच नहीं* ;
▪अपना घर सहित , दुनियां भर के लोगों को *अपना ही परिवार* समझना ;
▪सरल स्वभाव और साफ कहना ;
▪धार्मिक कर्म काण्ड के बजाय आदत - व्यवहार में ही *" धर्म का मर्म "* ।
▪काम धंधों से : लोभ , मोह और अहंकार को *अलग* रखना ;
▪पसीने की कमाई से ही *गुजर - बसर* करना ;
▪हिन्दू , मुस्लिम व अन्य समुदाय में *भेद नहीं* करना ;
*▪धैर्य* रखने का उपदेश ;
▪उत्पीड़न के खिलाफ , इसलिए *हथियार* ले कर चलना ;
▪दौलत मंदी की *गुलामी* व उनके सामने *झुकना* , बुरी बात समझना ;
➡ सन् 1672 में , *" नारनौल के सतनामी विद्रोह "* क्यों और कैसे ? :
➖ नारनौल में , *शिकदार* ( राजस्व अधिकारी ) के एक *प्यादे* ( पैदल सैनिक ) ने : एक सतनामी किसान द्वारा *" झुक कर सलाम नहीं करने "* के कारण , लाठी से किसान का *सिर फोड़* दिया ।
➖सतनामियों ने उस *प्यादे* को *मार* डाले ।
*➖शिकदार* ने गिरफ्तारी के लिये टुकड़ी भेजा , लेकिन *कामयाब नहीं* हुआ ।
➖नारनौल के *फौजदार* को भी , सतनामियों ने *मार* डाले ।
➖सतनामियों द्वारा : *स्वतंत्र सत्ता* स्थापित ।
➖राजपूत सरदारों ने मौके का *फायदा* उठाया : सतनामियों को *बदनाम* किये ।
➖दिल्ली के बादशाह *औरंगजेब* ने सतनामियों समझौता नहीं बल्कि *कुचलने* का योजना बनाया :
*▪जातिवादी मानसिकता* के कारण , *हिन्दू राजाओं* और *मुगल सरदारों* ने भी बादशाह का साथ दिये ।
▪राजस्थान के कई *राजपूत सामंतों* और दूसरे *सरदारों* को सतनामियों से *मात खानी* पड़ी ।
▪सतनामियों पर , तलवार , तोप के गोले *बेअसर* ।
▪सतनामी बादशाह के सेना से लड़ाई लड़ते , दिल्ली से *16 मील* दूरी पर पहुंच गए ।
*▪" माता मीनाक्षी "* - एक बुजुर्ग महिला की *तजुर्बा* व *हौसलाअफजाई* का असर था ।
▪सतनामी अपने आप को *खातिम* - *" प्राण देंगे , लेकिन मैदान नहीं छोड़ेंगे "* की भावना से डटे रहे ।
➖सतनामियों से *समझौता नहीं* बल्कि *येन केन प्रकारेण कुचलने* की *नीयत* , बादशाह की रही ।
➖ औरंगजेब ( *जिंदा पीर* ) की *चालाकी :*
*" कुरान शरीफ की आयतें लिख - लिख कर अपने झंडों पर सिलवा दी ।"*
▪शाही फौज में *हिम्मत* आ गई , तोप खाने भी थे ।
▪पांच हजार सतनामी *मारे गये* , कम ही *जिंदा* बचे ।
▪ लेकिन *@ दो सौ अफसरों* को सतनामियों ने भी मार गिराये ।
*➖ राजा बिसेन सिंह हामिद खाॅ* और *मुगल सरदार* के प्रयास से , इन हजारों विद्रोही सतनामियों को *मार डालने* में सफल हुए ।
*➖राजा बिष्णु सिंह कछवाहा* ने भी मुगल हुकूमत को *साथ* दिया लेकिन उसका भी *हाथी घायल* हो गया था ।
*➖इलियट* और *डावसन* ने इसकी तुलना *महाभारत* से की :
*▪" मन्तखब - उत लुबाब "* : पार्सियन इतिहासकार *" खफी खान "* की ऐतिहासिक पुस्तक है ;
*▪" इलियट और डावसन "* इस पुस्तक के *अंग्रेजी अनुवादक: 1849* हैं ।
*➖" A HISTORY OF AURANGJEB "* का नाम का लेख - *यदुनाथ सरकार* ने *सतनामी विरोधी लेख* लिखा ;
▪ लेकिन *" सतनामी : हिन्दू और मुसलमान में भेद नहीं करते "* वाली सच्चाई को छिपा नहीं पाया ।
➡ हरियाणा के इतिहास में , *अमिट इतिहास* जुड़ गया :
➖सतनामियों का *स्वर्णिम इतिहास* बन गया ।
➖मथुरा - आगरा के जाटों के लिये एक *मिसाल* बन गई ।
➖उनकी *कुर्बानी* सामंती व जातिवादी *उत्पीड़न* के खिलाफ एक *दिशा* दिखाई ।
➖निश्चय ही : *भक्ति आंदोलन* ने *न्याय* और *समानता* के मूल्यों को आगे बढ़ाया : सतनामी *धार्मिक चेतना* के घेरे में ही लड़ाई लड़ रहे थे ।
*➖सतनाम मिशन* की लहर , पूरे देश / विश्व , विशेषकर *छत्तीसगढ* में भी फैल गई / *दैदिप्यमान* हो गई ।
कृपया उपरोक्त विषय पर *चिंतन - मनन* कर , अपनी भी प्रतिक्रिया जरूर *शेयर* करें ।
धन्यवाद सहित
*एफ आर जनार्दन*
बी ई ( सिविल ) , एल एल बी
*उप महाप्रबंधक ( से नि )* - भिलाई इस्पात संयंत्र
*पंजीकृत इंजीनियर* - भिलाई नगर निगम
*मो* : 07898870543 ;
*इ मेल* : firatrjanardan@gmail.com
*दिनांक* : 17 मई 2020
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