Sunday, May 17, 2020

सतनामी इतिहास संगठन संधर्ष और समाहार

*🌻नारनौल के सतनामी एवं 1672 का विद्रोह 🌻*

*➖ आइये जानने का प्रयास करें - - -* 

*➡ नारनौल* एक परिचय :

➖भारत के , *हरियाणा* प्रांत के *महेन्द्रगढ* जिला में स्थित ।जिले का *मुख्यालय* भी है ।

*➖ दिल्ली से :* 75 मील दूर ( दक्षिण पश्चिम में स्थित )

*➖जनसंख्या :* 
   74581 ( जनगणना - 2011 )

*➖मुख्य भाषाएं :*

    हरियाणवी , पंजाबी व हिंदी ।

➖सन् 1657 में *" सतनामी संप्रदाय (SATNAMI SECT )"* की स्थापना : द्वारा - *संत वीरभान* 

*➡ सतनामी संप्रदाय (SATNAMI SECT )* के पीछे की पृष्ठभूमि :

➖भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता : *हड़प्पा - मोहनजोदाडो* व *सिंधु घाटी* की सभ्यता है , जो *श्रमण संस्कृति* के नाम से विख्यात है :

*▪श्रमण संस्कृति* के : 3 मुख्य आधार :

*1 - श्रम :* मेहनत कर के जीवन यापन ।

*2 - सम :* सबको बराबरी प्रदान करना / करवाना ।

*3 - शम :* अर्थात शमन का अर्थ है  - अपने *वृत्तियों* को शांत रखना , उनका *निरोध करना* ।जो व्यक्ति अपनी *वृत्तियों* को संयमित रखता है : वह *महाश्रमण* है ।

➖@ 1800 ईसा पूर्व विदेशी *आर्यों का आगमन* भारत में हुआ :

*▪श्रमण संस्कृति* के विरोध में  : *वैदिक संस्कृति* का *सृजन* और *संचालन* किये ।

*▪वैदिक संस्कृति :* 

*1 - ब्रह्म* को ही *मोक्ष* का आधार मानता है ।

*2 - वेदवाक्य* को ही *ब्रह्म वाक्य* मानता है ।

*3 - ब्रह्म थ्योरी* पर चलना अनिवार्य किया गया ।

➖ वैदिक संस्कृति / ब्रह्म थ्योरी के चलते : भारत के *मूलनिवासी* ( श्रमण संस्कृति वाले ) , मुख्य रूप से *तीन धड़ों* व *हजारों जातियों* में बट गये :

*▪पहला धड़ा  :* ब्रह्म थ्योरी आधारित संस्कृति के *समर्थक* - इन्हें ज्यादा सहूलियतें मिली ।

*▪दूसरा धड़ा :* ब्रह्म थ्योरी आधारित संस्कृति को *नहीं मानें* , लेकिन अपने आप को *दूसरों से अलग* कर लिये ।

*▪तीसरा धड़ा :* ब्रह्म थ्योरी को *नकारते* व *विरोध* करते रहे ।

➖वैदिक संस्कृति के *संचालकों* ने : ब्रह्म थ्योरी संस्कृति के *विरोधियों* को *कड़ी से कड़ी सजा* दी ।तथा इनकों आपस में *तोड़कर* रखने का प्रयास किये / करते रहेंगे ।

*➖समय* व *परिस्थिति* के आधार पर : प्रताड़ित जातियों के *जानकार / Better Guts & BetterBrain* वाले , सभी  प्रताड़ित जातियों को एक साथ ला कर , *मुकाबला* के उद्देश्य से : *संप्रदाय / पंथ / धर्म* आदि का *प्रयास* करते रहे हैं ।

➖ ऐसे ही प्रयास : *संत वीरभान जी* ( मूल गांव : *बीजासर* " नारनौल के पास " )  द्वारा , नारनौल में सन् 1657 में *" सतनामी संप्रदाय ( SATNAMI SECT )"* का  *सृजन* व *संचालन* किया जाना है :

*▪सतनामी संप्रदाय में :* *एक ही जाति* के नहीं , अपितु  *अनेक पीड़ित / वंचित जाति* के जागरूकों का , एक विशेष विचारधारा ( मानवतावादी / *श्रमण संस्कृति* के रक्षा ) के प्रयोजनार्थ  है ।

➖इस तरह की प्रक्रिया : 

*▪महामानव गौतम बुद्ध* ( 563 ई पू - 483 ई पू ) ;

*▪संत कबीरदास जी* ( 1440- 1518 ) ;

*▪गुरु रविदास जी* ( 1450 - 1520 ) ;

*▪गुरु नानक देव जी* ( 1469 - 1539 ) ;

*▪ गुरु घासीदास जी* ( 18 दिसंबर 1756 -  20 फरवरी 1850 )

      - - - आदि ने भी *प्रयास* किये व *सफल* भी हुए हैं ।

➡  भारत वर्ष में : *श्रमण संस्कृति* व *वैदिक संस्कृति* ( ब्रह्म थ्योरी आधारित संस्कृति ) , *एक दूसरे पर हावी होने / भारी पड़ने* की कोशिश *तब से अब तक* होती रही है :

*➖विदेशी आर्यो* के भारत आने के *पहले* ( @ 1800 ई पू के पहले) - - - - *श्रमण संस्कृति* की दबदबा ;

*➖ विदेशी आर्यो* के भारत आने के *बाद* ( @ 1800 ई पू के बाद )- - - -  *श्रमण संस्कृति* को *चुनौती* की शुरुआत ,  *वैदिक संस्कृति* ( ब्रह्म थ्योरी आधारित संस्कृति ) का *दबदबा बढ़ना* चालू ;

➖ आर्यो के सबसे *पुरानी* ग्रंथ *" ऋग्वेद "* ( @1200 ई पू ) लिखे जाने के बाद - - - *वैदिक संस्कृति*  ( ब्रह्म थ्योरी आधारित संस्कृति ) *विधिवत* रूप से लागू ;

*➖महामानव गौतम बुद्ध* के प्रादुर्भाव ( 563 ई पू - 483 ई पू ) के बाद - - - *श्रमण संस्कृति* का दबदबा ;

*➖ मौर्य शासक सम्राट अशोक* ( 304 ई पू  - 232 ई पू )  द्वारा *कलिंग युद्ध से सबक* के बाद - - - *श्रमण संस्कृति* के दबदबा में *आशातीत* बढ़ोतरी ;

*➖मौर्य शासक बृहद्रथ* की हत्या - *पुष्प मित्र सुंग* द्वारा :  ( @180 ई पू ) के *बाद* - - - *वैदिक संस्कृति* ( ब्रह्म थ्योरी आधारित संस्कृति ) की *दबदबा* ; 

*▪मनुस्मृति* - सुमति भार्गव के द्वारा लिखित ( @ 170 ई पू - 150 ई पू ), लागू होने के बाद - - - *वैदिक संस्कृति* ( ब्रह्म थ्योरी आधारित संस्कृति ) *सख्ती* से लागू ;

*➖आदि शंकराचार्य* के प्रादुर्भाव  ( 788 ई - 820 ई ) के बाद - - - *आधुनिक बाह्मण दर्शन* ( ब्रह्म थ्योरी आधारित संस्कृति ) *नये सिरे* से निर्धारित / परिभाषित :

*" बिना सांस्कृतिक एकता के , बिना विचारों  के एक छत्र साम्राज्य  के राजनीतिक एकता टिकाऊ नहीं है ।राजनीतिक एकता के मूल में सांस्कृतिक एकता चाहिए । सांस्कृतिक एकता हुयी  तो ,राजनीतिक एकता के लिए प्रयत्न करने वाले वीर जन्म  ले सकते हैं । सांस्कृतिक एकता के होते , राजनीतिक  विभिन्नताएं भी राष्ट्र का गला घोंट नहीं सकतीं  ।"*
 -- आदि शंकराचार्य

*➖ आर एस एस*  की स्थापना ( 27 सितंबर 1925 ) के बाद - - - आदि शंकराचार्य के *" ब्राह्मण दर्शन "* पर *सत प्रतिशत* अमल शुरू ;

*➖भारतीय संविधान* ( 26 जनवरी 1950 ) के लागू होने के बाद - - -  सैद्धांतिक रूप से  *मनुस्मृति पर रोक* लेकिन  *व्यवहार* में , *वैदिक संस्कृति* ( ब्रह्म थ्योरी आधारित संस्कृति ) और *श्रमण संस्कृति*  ( भारतीय संविधान आधारित संस्कृति ) में *टकराव जारी* । 

*➡  सन् 1657* में : *संत वीरभान जी* ने अपने भाई  *संत जोगीदास जी* के  सहयोग से , *नारनौल* में *" सतनामी संप्रदाय (SATNAMI SECT ) / सतनाम पंथ "* की नींव डाले : 
     " जिन्हें  ( *Followers* को )  *मुडिया* भी कहते थे ;"

*➖उधोदास जी* ( जो श्रमण संस्कृति के महामानवों से , खास कर *" बेगमपुरा माडल "* से  प्रभावित धे ) से  *प्रेरणा* मिला था ;

*➖नारनौल सतनामी संप्रदाय* की मान्यताएं :

▪अंधविश्वास व रूढ़ीवाद के *सख्त विरोध* ;

▪मूर्ति पूजा के *विरोधी* ;

▪जाति प्रथा के *विरोधी* ;

▪शरीर व मन की *शुद्धता* ;

▪सच और सदाचारी ;

▪धन व संपत्ति पर *लालच नहीं* ;

▪अपना घर सहित , दुनियां भर के लोगों को *अपना ही परिवार* समझना ;

▪सरल स्वभाव और साफ कहना ;

▪धार्मिक कर्म काण्ड के बजाय आदत - व्यवहार में ही *" धर्म का मर्म "* ।

▪काम धंधों से : लोभ , मोह और अहंकार को *अलग* रखना ; 

▪पसीने की कमाई से ही *गुजर - बसर* करना ;

▪हिन्दू , मुस्लिम व अन्य समुदाय में *भेद नहीं* करना ;

*▪धैर्य* रखने का उपदेश ;

▪उत्पीड़न के खिलाफ , इसलिए *हथियार* ले कर चलना ;

▪दौलत मंदी की *गुलामी* व उनके सामने *झुकना* , बुरी बात समझना ;

➡ सन् 1672 में ,  *" नारनौल के सतनामी विद्रोह "* क्यों और कैसे ? :

➖ नारनौल में , *शिकदार* ( राजस्व अधिकारी ) के एक *प्यादे* ( पैदल सैनिक ) ने : एक सतनामी किसान द्वारा *" झुक कर सलाम नहीं करने "* के कारण , लाठी से किसान का *सिर फोड़* दिया ।

➖सतनामियों  ने उस *प्यादे* को *मार* डाले ।

*➖शिकदार* ने गिरफ्तारी के लिये टुकड़ी भेजा , लेकिन *कामयाब नहीं* हुआ ।

➖नारनौल के *फौजदार* को भी  , सतनामियों ने *मार* डाले ।

➖सतनामियों द्वारा : *स्वतंत्र सत्ता* स्थापित ।

➖राजपूत सरदारों ने मौके का *फायदा* उठाया : सतनामियों को *बदनाम* किये ।

➖दिल्ली के बादशाह *औरंगजेब* ने सतनामियों समझौता नहीं बल्कि  *कुचलने* का योजना बनाया : 

*▪जातिवादी मानसिकता* के कारण , *हिन्दू राजाओं* और *मुगल सरदारों* ने भी बादशाह का साथ दिये ।

▪राजस्थान के कई *राजपूत सामंतों* और दूसरे *सरदारों* को सतनामियों से *मात खानी* पड़ी ।

▪सतनामियों पर , तलवार , तोप के गोले *बेअसर* ।

▪सतनामी बादशाह के सेना से  लड़ाई लड़ते , दिल्ली से *16 मील* दूरी पर पहुंच गए ।

*▪" माता मीनाक्षी "* - एक बुजुर्ग महिला की *तजुर्बा* व *हौसलाअफजाई* का असर था ।

▪सतनामी अपने आप को *खातिम* - *" प्राण देंगे , लेकिन मैदान नहीं छोड़ेंगे "* की भावना से डटे रहे ।

➖सतनामियों से *समझौता नहीं* बल्कि *येन केन प्रकारेण कुचलने* की *नीयत* , बादशाह की रही ।

➖ औरंगजेब ( *जिंदा पीर* ) की *चालाकी :*

*" कुरान शरीफ की आयतें लिख - लिख कर अपने झंडों पर सिलवा दी ।"*

▪शाही फौज में *हिम्मत* आ गई , तोप खाने भी थे ।

▪पांच हजार सतनामी *मारे गये* , कम ही *जिंदा* बचे ।

▪ लेकिन *@ दो सौ अफसरों* को सतनामियों ने भी मार गिराये ।

*➖ राजा बिसेन सिंह हामिद खाॅ* और *मुगल सरदार* के प्रयास से , इन  हजारों  विद्रोही सतनामियों को *मार डालने* में सफल हुए ।

*➖राजा बिष्णु सिंह कछवाहा* ने भी मुगल हुकूमत को *साथ* दिया लेकिन उसका भी *हाथी घायल* हो गया था ।

*➖इलियट* और *डावसन* ने इसकी तुलना *महाभारत* से की :

*▪" मन्तखब - उत लुबाब "* : पार्सियन इतिहासकार *" खफी खान "* की ऐतिहासिक पुस्तक है ;

*▪" इलियट और डावसन "* इस पुस्तक के *अंग्रेजी अनुवादक:  1849* हैं  ।

*➖" A HISTORY OF AURANGJEB "* का नाम का लेख - *यदुनाथ सरकार* ने  *सतनामी विरोधी लेख* लिखा ;

▪ लेकिन  *" सतनामी : हिन्दू और मुसलमान में भेद नहीं करते "* वाली सच्चाई को छिपा नहीं पाया ।

➡ हरियाणा के इतिहास में , *अमिट इतिहास* जुड़ गया :

➖सतनामियों का *स्वर्णिम इतिहास* बन गया ।

➖मथुरा - आगरा के जाटों के लिये एक *मिसाल* बन गई ।

➖उनकी *कुर्बानी* सामंती व जातिवादी *उत्पीड़न* के खिलाफ एक *दिशा* दिखाई ।

➖निश्चय ही : *भक्ति आंदोलन* ने *न्याय* और *समानता* के मूल्यों को आगे बढ़ाया :  सतनामी *धार्मिक चेतना* के घेरे में ही लड़ाई लड़ रहे थे ।

*➖सतनाम मिशन* की लहर , पूरे देश / विश्व , विशेषकर *छत्तीसगढ* में भी फैल गई / *दैदिप्यमान* हो गई ।

   कृपया  उपरोक्त विषय पर *चिंतन - मनन* कर , अपनी भी प्रतिक्रिया जरूर *शेयर* करें ।

धन्यवाद सहित

*एफ आर जनार्दन* 
बी ई ( सिविल ) , एल एल बी
*उप महाप्रबंधक  ( से नि  )* - भिलाई इस्पात  संयंत्र 
*पंजीकृत इंजीनियर* - भिलाई नगर  निगम

*मो* : 07898870543 ;

*इ मेल* : firatrjanardan@gmail.com

*दिनांक* : 17 मई 2020

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