।।सीख ।।
हदरते मन को देतें रहे दिलाशा
मिलेगी मंजिल कभी न टूटेआशा
लक्ष्य एक नही न राहें हैं एक
पल-पल परिवर्तित चाह-राह अनेक
चलने का बस हौसला हो हरदम
विफलताओं से कभी न हारे हम
करे चयन जो हो रुचिकर आसान
भले रखें थोड़ी -बहुत उनपर कमान
हो निरंतर अभ्यास लगे रहे सो जाने
पुरखों की सीख मन वचन कर्म से माने
-डा. अनिल
No comments:
Post a Comment