श्रम दिवस पर
।।मिहनत वाले के मरना हवय ।।
हमरे घर अउ हमरे छानी
बेंदरा मनके देख करसतानी
चारों डहन इंकर उलानबाटी
ओमन किंदरय पहिने टोपी
खाटी मन बर न मिले लगोटी
उकर मालपुआ इकर खपुर्री रोटी
काला सुनाबे गीत भजन कहानी
जम्मों तो लहुटगय अंधरी- कानी
मिहनत वाले मन के मरना हवय
बैंठागुर मन के ही अब जीना हवय
कोरोना मं इकर देख न जाय करलाई
लाकडाउन मं फसे हवे जम्मो पिला माई
सब बंद हे अउ थिरके हवे हाथ पांव
दुख दाई अइसे कि कोन डहन जाव
संकट सबो बर हवे फेर इकर दू असाढ
कोनो उदिम करो मदत बर बढाओ हाथ
-डा. अनिल भतपहरी
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