Thursday, May 21, 2020

पानी नइये

"पानी नइये" 

का कहव संगी मय  का सुनब संगी तय 
कहे सुने के अब तो कहानी नइये 
तोर मोर बीच गाथा  सुहानी नइये
बस गरजना हाबे बादर म पानी न इये 

मारत  फुटानी टुरा बरा भजिया खाथे
फेर काबर काचा मिरचा कर्सस ल चाबे 
चिरपुर बड़ देख बिचारा कइसन कलबलागे 
हद होगे होटल म पानी नइये बोतल म पानी न इये ...

असनादे खुसरे समारु अपन नहानी घर म 
चुपरत साबुन मगन गावे गीत सुहानी घर म 
आंखी मं परे गेजरा नल पोछत पंछा म चेहरा  
बाल्टी मं पानी नइये डोलची म पानी नइये ....

लगिन के नेवता भेजे हावे समयदास 
जिहा दार भात उहा पहिदे माधोदास 
दमकाते साठ थारी भात रेन्गे बाहिर सोज्झी धाट 
नरवा म पानी न इये तरिया म पानी न इये ....

हमर पारा के पंचू भाई बनगे हवे पंच 
फटफटी म किंदरत हे मंदहा सरपंच संग 
मंत्री साहेब मन संग चलत हवे परपंच
मुड़ी कटइय्या जनता बर कोनो राजा रानी नइये ...

चल बने टूरी मन होवत हे टूरा मन ले आघु 
फेर उकर करसतानी ले कइसे इकर करसतानी आघु 
चुंदी नइये न फूंदरा अउ हवे मुड़ उघरा 
बराबरी के चक्कर मं करे काम अलकर 
बरदानी ओकर आचर फेर निरलजई होत काबर
आंखी मं अब तो पहली कस  लाजवानी नइये 
जवानी तो हे फेर जवानी के रवानी नइये ...

का कहंव संगी मंय का सुनब संगी तंय 
कहे-सुने के कोन्हों कहानी नइये
अब तोर-मोर गाथा सुहानी नइये 
बस गरजना हवे बादर मं पानी नइये ...
अब तोर मोर बीच गाथा सुहानी नइये 
बस गरजना हवे बादर मं पानी नइये

डा अनिल भतपहरी
९६१७७७७५१४

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