1 कोरोना गीत
सुनसान होगे खोर गली कोरोना के सेती
भांय भांय लागे संगी चारों मुड़ा चारो कोती
खोर किंदरा रहिस तेमन होगिन घर खुसरा
खोली मं धंधाय बहुमन होगिन मुड़ उधरा
नता गोता सब धरे रहिगे परान बचा ले पहिली ...
रोजी रोजगार छुटगे संगी , छुटगे निशा पानी
नानमुन छुटगे बेमारी ,छुटगे सुजी पानी
समे समे मं अब तो असनेच करे परही ...
छै हाथ छट्टा रहव अउ मुंह म टोपा बांधव
घंटा दू घंटा आड़ साबुन मं हाथ ल धोवव
जुरमिल के ये बइरी ल खेदारे परही ...
2 ।।कोरोना ।।
कोरोना के सेती फइले हे सब जगा महामारी
देख दुरगति मनखे के का कहिबे संगवारी
का कहिबे संगवारी मरगे लाखों पटापट
छै हाथ छट्टा रहव, झन रहव सब लटालट
माक्स बांधव मुंह मं हर धंटा हाथ परही धोना
माईपिला रहव घर मं तभेच भागही कोरोना
3 " लिमउ "
लिमउ सक्कर पानी मिलथे
त गरमी थिरा जथे
कत्कोन झोलाय रहिबे पीते साठ
कुहकुही सिरा जथे
दार-भात संग ससन भर खाले
एखर अचार
बिटामिन सी रसा मं भरे हवय एखर अपार
तिहि पाय के अंगना मं लगावव लिमउ पौंधा
ममहई अउ सुघरई संधरा पावव संगी ठौका
बिंदास कहें -डां. अनिल भतपहरी
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