आपके वास्ते छकड़ी हमरी
।। दलबदलू ।।
जिधर बम उधर हम वालों से परेशान हैं
पर करे क्या कोई उन्ही का ही शासन हैं
उन्ही का है शासन और मजे चारो ओर हैं
नीति- सिद्धान्त वाले ही अब कहाते चोर हैं
दलबदलुओं की निष्ठाएं बदलते रहे हैं हरदम
तभी सुलगते माचिस की मांग होते जिधर बम
बिंदास कहें -डा. अनिल भतपहरी
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