आपके वास्ते छकड़ी हमरी
ऐसी क्या बात हुई कि आप हमसे नाराज हो गये।
संग मधुर गीत गाते रहे पर डरावनी आवाज हो गये।।
पगड़ी ही तो थी पर कैसे तुम्हारे सर पर ताज हो गये।
मिलकर गढें सुराज कहें पर तुमतो राजाधिराज हो गये।।
पीकर सत्ता की मद नुक्कड़ पर बेसुध दारुबाज हो गये ।
चिड़ियों के संग चहकते अब उनके लिए बाज हो गये।।
-डा. अनिल भतपहरी
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