"मजा अउ सजा"
जेन हड़िया रांधही
केरवछ तो लागही
जेन रद्दा रेंगही
वहीच तो हपटही
बिन गिरे कोनो
तो उठय नही
सुते बिन कोनो
तो जगय नही
फेर जतके सजा
दगहा रहे अउ
हपटे सुते म हे
ओतके मजा
सफा रहे अउ
जागे उठे मं हे
-डा.अनिल भतपहरी
चित्र - मैसुर विश्वविद्यालय कर्नाटक
(हिमाचली टोपी और मैसुर सिल्क सर्ट में उत्तर - दछिण अखिल भारतीय छवि )
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