सतनामियों सहित अनेक मुख्यधारा से वंचित समाज का अपना कोई सामूहिक आस्था प्रकट करने हेतु न तीर्थ था न संत महात्मा ।शुक्र है कि आज गिरौदपुरी चटुआ खडुआ भंडार तेलासी और उनके नव रावटी स्थल हैं। जहां लोग अपनत्व भाव लेकर जाते आते हैं। और सामूहिक रुप से एकत्र होकर केवल आस्था ही नहीं बल्कि अपनी संगठनिक शक्ति और लाखो लोग स्व नियंत्रित सद्भाव का प्रदर्शन करते हैं।
तो इस तरह जैसे अन्य वैश्विक धर्म इसाई मुस्लिम बौद्ध हिन्दूओ का जुडाव येरुशलम वेटिकन सिटी मक्का मदिना बोधगया सारनाथ या लामाओ के बुद्ध मैनेस्ट्री में होते हैं। सिखो का अमृतसर और हिन्दुओ का चारो कुंभ मे जमवाडा होते है वर्तमान में उसी तरह गिरौदपुरी सतनाम धर्म के महान तीर्थ धाम के रुप में आकार ले चूका है देश भर से श्रद्धालु आते हैं। यहा तक विदेश से भी आने लगे हैं। यह सतनामियों की बहुत बडी उपलब्धि है। और यह स्व स्फूर्त हुआ हैं। लाखो लोगो की करोड़ो रुपये जो अन्य मेले मड ई खेल तमाशे में नष्ट होते थे आज गिरौदपुरी में वह सात्विक मंगल भजन सत्संग प्रवचन और स परिवार प्रकृति के सानिध्य में सहभोज करते तीन दिन सधनात्मक जीवन जीते आत्मविभोर होते हैं। यह अप्रतिम मंजर है।इसे ब्राह्मण वाद या अंधविश्वास आदि के साथ जोड़कर न देखे। ऐसा देखने समझने वाले सांस्कृतिक व आध्यात्मिक रुप से कृपण व आलोचना प्रवृत्ति के लोग है जो भ्रमित व सशंकित है।
हां आपार भीड़ में कुछ नादां भोला भाले और कुछ अंध श्रद्धालु भी मिलेन्गे पर वे अपवाद और उनके निम्नतर बौद्धिक स्तर है।उन्हे नजर अंदाज करना चाहिए।
।।सतनाम ।।
Tuesday, November 27, 2018
गिरौदपुरी सत्धाम
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