Thursday, November 1, 2018

वांग्मय

" वांग्मय"
  
वेद उपनिषद
पुराणादि भी
मानव मेघा की
ऊपज अनुपम है
स्मृति योग मीमांशाएं 
विविध विचारों से संवृत
भारतीय वांग्मय है
राज्य विस्तार की
रोचक  दास्तान
है वाल्मिकी कृत
रामायण
जहां प्रजातियों का
समागम और संधर्ष है
मानव मन  की द्वंद्व का
शानदार विचार विमर्श है
एक्शन इमोशन थ्रीलर
रहस्य रोमांच का दास्तान
महाभारत व्यास मंडल
रचयिताओं का
है अनोखा वृतान्त
अत्तदीपो भव की
महिमा त्रिपिटक गाती है
बीजक की साखी तो
ग्यान की आखी है
संत गुरु की वाणी ही
असल  मानव का धन है
गुरुग्रंथ साहिब निर्वाणग्रंथ
और सतनमायन है
विषैले मानस सागर में
चुहते अमृत बुन्द है
उद्गाता /श्रोता के लिए
विधिध रत्न भरे समुन्द्र है

  ।‌।सत श्री सतनाम ।।

-डा. अनिल भतपहरी
9617777514

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