सुधि पाठको हेतु "छकड़ी हमरी" -४
किए जाते है हर काम सोच-समझकर ।
पर कुछ लोग रह जाते अक्सर उलझकर।।
होते है सफल जो चलते है जरा सम्हलकर ।
सुख-दु:ख,जीत-हार में रहते है वे निर्विकार ।।
मंजिल उनकी होती सदा जो जीते हर विकार ।
बनते हैं प्रेरक उनके हर कर्म और सद्विचार।।
- डां . अनिल भतपहरी,९६१७७७७५१४
No comments:
Post a Comment