"संसो "
अभीच ले मोला अबड़ संसो होत हवे भाई
अवइय्या दस बीस बछर मं अलकर होही
काबर कि बड़े-बड़े मूर्ति बन जाही
त "हवई जहाज" कइसे उड़ियाही ?
परदेशिया मन इहा आए बर डराही
काबर कि उकर जिहाद ओमा टकराके
भंग -भंग ले लेसा के जर- बर जाही .
बिचारा मन के हाड़ा गोड़ा के पता नई चलही
-संसो करैय्या डां.अनिल भतपहरी
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