छकड़ी हमरी
मंदरस मिंझरे मीठ हवे हमर भाखा छत्तीसगढ़ी ।
सिरतोन कहत हंव नोहय हांसी मजाक दिल्लगी ।।
कोनो कहिस जिमीकांदा मही के जस अमसुरहा कढ़ी ।
जुच्छा साग के सेती महु मिझांर देव चिटिक बोरे बासी।
कोनो कथे बाप खेत -खार त महतारी हे गांव-गली ।
कथा कहानी गीत भजन चोहल हवे आनी-बानी ।।
रंगे छत्तीसों रंग म गीता कुरान बाइबिल गुरुबानी ।
इकरे भरोसा तीन परोसा चलथे इंहा के जिनगानी ।।
डा. अनिल भतपहरी
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