कोरोना और करुणा
एक खतरनाक वायरस जो महामारी का रुप लेकर मानव प्रजाति के ऊपर तांडव मचा रही हैं। तो दूसरा समश्रुत शब्द पीड़ित मानवता व जीव जगत के प्रति दया और कृपा बरसा रही हैं।
अनेक संत -महात्मा आए और जनमानस को नैतिक बोध कराए कि सात्विक खान -पान ,रहन- सहन रखे एंव जीव जगत के प्रति करुणा मय रहे की सीख देकर चले गये । यानि की सस्सटनेबल डेवलपमेंट की बाते कहे जैव विविधता को कायम रखने प्रकितस्थ रहने की बातें और उपदेशना कहे ।पर कम्बख्त मनुष्य और उनकी अनन्य लिप्सा । अधिक चाह
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