Thursday, March 26, 2020

विश्वरंगमच दिवस पर

विश्व रंगमंच दिवस की हार्दिक  बधाई 

‌  नवरंग नाट्य कला मंच के संस्थापक ( १९७५ )पिता श्री सुकालदास भतपहरी  के निर्देशन में‌  बाल्यकाल ७७-७८  से ही  रंगमंच पर आते रहे हैं "अंधेरनगरी "का चौपट राजा बनकर कभी "रतन" बनकर कभी "उजागर "तो कभी चरणदास चोर मे" वयोवृद्ध साधु "तो कभी चांदी के पहाड में  क्रुर भाई बनकर।
मध्यबाल समाज एंव सतनाम युवा जागृति मंच से गुरुघासीदास चरित लीला मे "सतपुरुष" व "गुरुघासीदास "के बाल जीवन को भी जीने का अवसर मिला उनकी महान गाथा से प्रेरित होकर आगे सतनाम- धर्म, संस्कृति पर पीएच-डी.करने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
   मतलब रंगमंच पर अनेक‌ किरदार जीते रहे आज वे सारे पात्र एकाएक स्मृत होने लगे है क्योकि आज विश्वरंग मंच दिवस है। १९७५- से लेकर ९५ तक 
बहुआयामी व्यक्तित्व के धनि हमारे शिक्षक  पिता श्री सुकालदास भतपहरी के निर्देशन मे  अंधेरनगरी, राह का फूल ,संगत ,दो मूरख, चांदी के पहाड  ,एक मुठा माटी के अस‌रइय्या , मोला गुरु बनई लेते  जैसे अनगिनत नाटको मे अभिनय किए गीत गाए हारमोनियम बजाए ....  
     पिता श्री की सीख और प्रेरणा  से आज पर्यन्त  रंगमंच छुटा नही बल्कि यदाकदा चलते ही आ रहा है ... महाविद्यालय के  रासेयो शिविर मे उनके सामाजिक सरोकार से  लिखे नाटक गीत का मंचन गायन अभी भी हमारे  हमारे विद्यार्थियों  के संग मिलकर  करते ,उन्हे सिखाते है। उनके २००० के जाने बाद श्रद्धांजलि स्वरुप निकाले सतनाम संकीर्तन कैसेट एंव 
 कुछ  परब गीत दूरदर्शन मे प्रसारण अब भी होते हैं। और जगह- जगह सत्संग समारोह मंच  मे  "हंसा अकेला" के नाम से संगीतमय संकीर्तन प्रवचन जारी हैं।
   मंच भले धार्मिक हो पर हुनर उसी रंगमंच से लाए जिनकी लौ पिता श्री लगाए ....और उन्हे नाचा भजन से मिला नैसर्गिक प्रतिभा  एंव बी एड प्रशिक्षण से दक्ष हो  अपनी शिक्षकीय जीवन १९६९ से १९९५ तक रंगकर्म पर अनवरत सक्रीय रहे ....हबीब तनवीर,  दानी दरुवन, रामचञद देशमुख, केदार यादव  ,चंपा बरसन सहित फिल्मो के बलराज साहनी, मुकरी, दिलीपकुमार जैसे से भी अभिनय सीखकर अपने स्कूल के इर्द-गिर्द अंचल के दर्शको को अपनी अभिनय और मधुर बांसुरी वादन से  सम्मोहित करते रहे ।
    विश्वरंगमंच दिवस की बधाई सहित रंगकर्मी पिता श्री सुकालदास भतपहरी  का पुण्य संस्मरण । सादर श्रद्धांजलि ... नमन 

टीप - इस अवसर देखे तृतीय पीढी के अरविन्द भतपहरी की नैसर्गिक प्रतिभा बिना कोई प्रशिक्षण के द्रष्टव्य हैं-
लिंक पर टच कर देखे ।
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1221766811311830&id=100004355672502

चित्र - १चरनदास चोर के रोल में पिताश्री
   २ विश्वविद्यालय के मंच पर प्रस्तुतीकरण के बाद अपने विद्यार्थियों के संग ।

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