जोन गरीब होथे
प्रकृति के करीब होथे
अब देखो बिहनिया गरीब दतुअन धीसथे
अउ धनी मन टूथपेस्ट करथे
एमन बासी पेज पसिया भाजी संग खा लेथे
बासी सबसे उत्तम ब्रेकफास्ट माने गे हवे
ओमन चाय ब्रेड एगरोल चाउमिन पिज्जा
कतकोन खाले फेर मुह पेट जुच्छा के जुच्छा
नहाय बर फरिल जिन्दाजल तरिया नरवा गरीब मन बर
नल टंकी के तियासी पानी बसियाहा शहर के धनवान मन बर
इकर पैदल कभु साइकिल सवार
उकर फटफटी अउ मोटर कार
इकर सुते बर चट ई खटिया अउ मिहनत
ससन भर के फुरसुदहा 8-9 बजे नीद सोपापरत
पलंग सुपेती कोवर गद्दा ह जनात
छटपटी धरे नींद के गोली बारा बजे ल जागत खात
भिनसरहा गरीबहा मन के जग ई
९-१० धनवान मन के उठ ई
गरीब मन झटकुन जागथे
धनवंता मन ले दे के उठथे
तभो ले गरिबहा मन केर रोजे कर ल ई हे
अउ बडहर मब के रोजेच मजा मर ई हे
गरीब के मन के न इये कछु पुछ ई
देखे नी जाय इकर सोसन अउ कर ल ई
होथे थोड -थाड जब आथे चुन ई
देखउटी तो आय सच म होथे गरकटई
सदा सक्रीय फेर जीयत ल कमात रहिथंय
सदा निष्क्रिय फेर मरत ल लमात रहिथंय
कछु होय फेर एक बात हे सबके अपन-अपन नसीब
जोन होथे गरीब उन मन अक्सर होथे प्रकृति के करीब
(टीप - तुकाराम कंसारी जी के कमेन्ट जोन गरीब होथे ईश्वर के करीब होथे से प्रेरित )
डा अनिल भतपहरी
९६१७७७७५१४
No comments:
Post a Comment