Saturday, March 21, 2020

गुरुघासीदास और उनका सतनाम आन्दोलन ‌

सतनाम धर्म संस्कृति में  साहित्य सृजन का समय चल रहा है।  सुखद समाचार हैं कि साधु सर्वोत्तम स्वरुप साहेब कृत "गुरुघासीदास और उनका सतनाम आन्दोलन " ग्रंथ प्रकाशित हुई है जो कि संत जी के अनवरत परिभ्रमण  धार्मिक साहित्य अध्ययन और सत्संग से बहुश्रुत अनुभव से ग्यानार्जन द्वारा  यह  सहज सरल व सुबोध प्रवचन शैली में बडी ही  रोचक ढंग से सृजित हैं। 
  गुरुघासीदास के जन्म तप एंव संधर्ष के साथ- साथ  जनमानस में सतनाम के प्रचार- प्रसार सहित अनेक ज्वलंत मुद्दो और धार्मिक सामाजिक भ्रम रुढि आदि के  विरुद्ध चेतना और प्रेरणा परक विश्लेषण इस ग्रंथ में  हैं। वेद पुराण  रामायण महाभारत  एंव बीजक आदि ग्रंथों के प्रेरक उदाहरणों व प्रसंगों के उल्लेख करते हुए  
  २७५ पृष्ठों पर विस्तारित  ग्रंथ  केवल पठनीय ही नही संग्रहणीय हैं।
    हमारा यह सौभाग्य हैं कि छात्र जीवन से ही साधू सर्वोतम स्वरुप साहेब का सानिध्य व आशीष मिलते रहा है। जब वे हर्षित होकर सूचित किए कि दो पुस्तकें प्रकाशित हुई है- पहला विरक्त संत अमरदास और दूसरा  गुरुघासीदास और उनका सतनाम आन्दोलन तो हमे रहा नही गया और दोनो पुस्तकें प्राप्त कर सचमुच ऐसा लगा कि हमारे ग्यानकोष मंजूषा में दो अनमोल रत्न का भंडारण हो गया। 
    संत सर्वोत्तम स्वरुप साहेब निरोगी व दीर्धायु हो और वे समाज के छुधित मेधा को अपनी साधना और सृजन से तृप्त करते रहे। 
    
  उन्हें और उनकी साधना व उद्यम को प्रणाम 
        जय सतनाम 
  डा. अनिल कुमार भतपहरी

No comments:

Post a Comment