*छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस उत्सव (छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर)*
----------------- ( महेन्द्र बघेल)
छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के अवसर मा छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर के तरफ ले पांच दिवसीय ( 26 नवम्बर ले 30 नवम्बर तक) साहित्यिक कार्यक्रम के आयोजन करे गीस। जिहां 26 नवंबर प्रथम दिवस मा *छत्तीसगढ़ के पुरोधा साहित्यकार के साहित्यिक अवदान* विषय मा आलेख आमंत्रित करे गे रहिस। ये विषय मा हमर पुरखा साहित्यकार मनके साहित्यिक अवदान ला रेखांकित करत बुधियार साहित्यकार मनके द्वारा सुग्घर जीवन वृतांत पटल मा प्रस्तुत करे गीस। ये पटल के एडमिन श्री अरूण कुमार निगम जी हर जनकवि कोदू राम दलित जी के उपर, दीदी सरला शर्मा हर डाॅ. पालेश्वर शर्मा के उपर, श्री गया प्रसाद साहू हर गीतकार लक्ष्मण मस्तुरिया के ऊपर, श्री अजय अमृतांशु हर सुशील यदु जी उपर, श्री ओमप्रकाश साहू हर पवन दीवान अउ विसंभर यादव मरहा के ऊपर अपन आलेख पटल मा रखिन।
हमर पुरखा साहित्यकार मनके वयक्तित्व अउ कृतित्व ला पढ़के अब्बड़ अकन नवा जानकारी मिलिस , छत्तीसगढ़ी साहित्य के प्रति उनकर समर्पण अउ संघर्ष हा नवा कलमकार मन बर प्रेरणास्पद ही नहीं अपितु अनुकरणीय भी हवय।
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पांच दिवसीय आयोजन के क्रम मा दूसरैया दिन *छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के औचित्य* विषय उपर केन्द्रित मौलिक विचार ला पटल मा प्रस्तुत करे के अवसर प्रदान करे गीस।
ये विषय मा चर्चा होय के पहिली, पाछू दिन के मरहा जी वाले आलेख ला कोड करत श्री अजय अमृतांशु हर अपन संस्मरण साझा करिन।
तेकर बाद मा विषय ऊपर सबले पहिली दीदी सरला शर्मा के विचार आइस, ओमन छत्तीसगढ़ी साहित्य लेखन अउ स्कूली पाठ्यक्रम बर विस्तार पूर्वक चर्चा करत अपन सारगर्भित बात रखिन। अगले क्रम मा श्री चोवा राम वर्मा हर छत्तीसगढ़ी बर पुरोधा मन के संघर्ष अउ वर्तमान मा छत्तीसगढ़ी के दशा दिशा के ऊपर अपन विचार रखिन। इही बीच दीदी सरला शर्मा के विचार ला कोड करत तीन साहित्यकार मन के अभिमत पढ़े बर मिलिस।उन मा सर्वप्रथम डॉ विनोद वर्मा जी के समीक्षात्मक टिप्पणी आईस, उन मन कहिन छत्तीसगढ़ी के सुग्घर भविष्य बर ये भाषा के मानकीकरण के अत्यंत आवश्यकता हवय। तत्पश्चात श्री अशोक तिवारी हर साहित्यकार मन के सतत संघर्ष अउ शासकीय उदासीनता ऊपर चिंता व्यक्त करिन। ओखर बाद श्री रामेश्वर गुप्ता हर अंग्रेजी स्कूल खुले ले छत्तीसगढ़ी कहीं नेपथ्य मा झन चले जाए कहिके अपन विचार रखिन। कुछ समय पश्चात आबंटित विषय मा श्री अनुज छत्तीसगढ़िया के विचार आईस, ओमन सकारात्मक भाव ले छत्तीसगढ़ी भाखा ल अपनाय बर कहिन।
तत्पश्चात डाॅ. विनोद वर्मा के टिप्पणी ऊपर प्रति टिप्पणी करत श्री रामनाथ साहू हर राजकाज अउ शिक्षा-दीक्षा के भाषा ऊपर अपन चिंता जाहिर करिन। विषय उपर श्री बल्दाऊ राम साहू अपन विचार व्यक्त करत कहिन कि छत्तीसगढ़ी मा अभी तक कोन कक्षा मा का पढ़ाय जाय उही च कार्ययोजना के इहाॅं लगभग अभाव हे।श्री पोखन लाल जायसवाल हर छत्तीसगढ़ी ला रोजगार मूलक भाषा बनाएं बर जोर दिन। श्री बलराम चंद्राकर हर राजभाषा आयोग के ऊपर प्रश्नचिन्ह उठावत कहिन कि येमन काबर उदासीन हवॅंय। अंत मा एडमिन श्री अरुण कुमार निगम हर अपन बात रखत कहिन कि सरकार संग हम सब ला छत्तीसगढ़ी भाषा बर आत्म समीक्षा और आत्म चिंतन के जरूरत हे।
येकरे साथ दूसरैया दिन के विषय काल के समापन होइस।
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आयोजन के तिसरैया दिन यानी छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस उत्सव 28 नवंबर के दिन *अवइया समय के छत्तीसगढ़ी* विषय ऊपर विचार आमंत्रित करे गिस । ये दिन पटल के लगभग सबो सक्रिय सदस्य मन बिहनिया च ले छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के अवसर मा बधाई अउ शुभकामना संदेश लगातार पठोवत रहिन। आबंटित विषय मा दो प्रबुद्ध साहित्यकार मन के विचार आइस सबसे पहली दीदी सरला शर्मा छत्तीसगढ़ी के व्याकरण पक्ष ला पोठ करे बर शानदार ढंग ले अपन विचार पटल मा रखत कहिन कि भाषा हर परिवर्तन शील सामाजिक सम्पत्ति आय तब छत्तीसगढ़ी ला पाठ्यक्रम मा 12. 72 % से 70.12 % तक पहुंचाना हमर लक्ष्य होना चाही। अभिव्यक्ति के अगला क्रम मा श्री सत्यधर बांधे हर अपन सुग्घर विचार रखिन।
आज छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस उत्सव होय के कारण पूरक सामग्री के रूप मा श्री अजय अमृतांशु के द्वारा छत्तीसगढ़ी ला राज काज के भाषा बनाय बर अपन साहित्यिक संस्था अभिव्यक्ति डहर ले माननीय मुख्यमंत्री जी ला पठोय गय पत्र के जानकारी, वैभव प्रकाशन रायपुर के सहयोग ले आनलाइन गोठबात के नेवता संग गुगल मीट के लिंक अउ छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग डहर ले कार्यक्रम के नेवता संग दीदी सुधा वर्मा ल सम्मानित करे संबंधित पत्र ला पटल मा साझा करे गिस।
येकरे संग तिसरइया दिन के आयोजन मा विराम लगिस।
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आयोजन के रूपरेखा अनुसार चौथइया दिन ला *तीसरइया दिन के आयोजन के रिपोर्टिंग* बर आरक्षित रखे गय रहिस।
सौभाग्य से छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के दिन साहित्य एवं भाषा अध्ययनशाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय ई संगोष्ठी मा भाग लेहे के अवसर मिलिस।
दिनाॅंक 28 नवंबर 2020 के बिहनिया 11 बजे ले *छत्तीसगढ़ी, भाषा, संस्कृति अउ लोक साहित्य* विषय मा आयोजित ई संगोष्ठी हर माननीय कुलपति डॉ. केशरी लाल वर्मा के उपस्थिति मा पहुना डॉ. चितरंजन कर भाषाविद एवं साहित्यकार, डॉ. राजन यादव लोक साहित्य के मर्मज्ञ, डॉ. अनिल भतपहरी लोक साहित्यकार एवं श्री रामनाथ साहू उपन्यासकार मन के पहुनाई मा प्रारम्भ होइस।
सबले पहिली डॉ. स्मिता शर्मा हर कार्यक्रम के शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुल गीत *सत्य शिव सुंदर से अभिमंत्रित सुहावन*, *ज्ञान का विज्ञान का यह तीर्थ पावन* ले करिन। फेर दीपमाला शर्मा व साथी मन छत्तीसगढ़ राज गीत *जै हो जै हो छत्तीसगढ़ मैया* ले प्रारंभ करके *जतन करव भुइयां के संगी जतन करव,बही बना दिये रे बुंदेला, ओ गाड़ी वाले..पता ले जा रे, घोड़ा रोवय घोड़ेसारे मा* तक अपन सांगीतिक प्रस्तुति रखिन।
पहिली वक्ता के रूप मा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ केशरी लाल वर्मा हर कहिन कि छत्तीसगढ़ी के मान सम्मान अउ प्रगति हर ख़ुद के मान सम्मान अउ प्रगति आय। संस्कृति अउ लोक साहित्य के विकास कइसे होय येकर चर्चा के साथ, आगे येकर पठन पाठन के चर्चा भी आवश्यक हे।
डाॅ. शैल शर्मा कार्यक्रम के संयोजक हर अपन वक्तव्य मा कहिन कि छत्तीसगढ़ मा बंधुत्व, एकता अउ प्रेम के अद्भुत परम्परा हर सामाजिक एकता के रीढ़ आय।
श्री रामनाथ साहू जी उपन्यासकार हर *हीरू के कहनी* से लेकर *भुइया* उपन्यास के यात्रा वृत्तांत बतावत कहिन कि समग्र राष्ट्रीय चेतना से छत्तीसगढ़ हा अलग नइहे।
डॉ. अनिल भतपहरी हर छत्तीसगढ़ी के प्राचीन अउ अर्वाचीन स्वरूप के उपर चर्चा करत छत्तीसगढ़ ला आर्य ,अनार्य अउ द्रविड़ तीनों संस्कृति के समागम बताइन।
डॉ.राजन यादव लोक साहित्य के मर्मज्ञ हर छत्तीसगढ़ी लोकगीत के विशेषता ला बतावत कहिन कि पूर्व काल मा पर्यावरणीय अउ भौगोलिक अनुभव के फलस्वरूप लोकगीत के माध्यम से समाज ला शिक्षा मिलत रहिस।अउ आघू कहिन कि आज हमला छत्तीसगढ़ी राजभाषा ला सिरिफ कागज मा नहीं सचमुच के राजभाषा बनाय बर परही।
अंतिम वक्ता के रूप मा भाषाविद डॉ चितरंजन कर हर अपन विचार व्यक्त करिन कि संवैधानिक ढांचा मा शामिल होय ले नहीं ओमा काम करे ले भाषा के गौरव बाढ़ही।ज्ञान अउ भाषा हर एक पन्ना के दू पृष्ठ आय, जेला अपन मातृभाषा नइ आवय ओला कोई भाषा नइ आवय।
ये कार्यक्रम के सह संयोजक डॉ मधुलता बारा हर आभार प्रकट करिन।
कार्यक्रम के सुचारू रूप से संचालन के दायित्व डॉ गिरिजा शंकर गौतम हर निभाइस।
अउ अंत मा भाषा एवं अध्ययनशाला पं रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर के तरफ ले, ई प्रमाण पत्र मिल सके कहिके कार्यक्रम मा शामिल होवइया छात्र, शोधार्थी, शिक्षक अउ साहित्यकार मन ले अपन फीडबैक फार्म ला भरे के अपील करें गइस।
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आयोजन के पांचवा दिन 30 नवंबर 2020 के *ऑनलाइन कवि गोष्ठी* के कार्यक्रम रखे गिस।
आनलाइन कवि गोष्ठी के शुभारंभ वरिष्ठ कवि गया प्रसाद साहू के सुरमयी सांगीतिक वंदना अउ *तोला बंदव तोला बंदव, तोहिला बंदव* के साथ होइस, ओकर पश्चात क्रमश: मोहन कुमार निषाद लमती (घनाक्षरी) - *भाखा महतारी आय, मान सबो रखलव* , बोधन राम निषाद कवर्धा ( लावणी छंद) - *ये माटी मा हीरा मोती,ये माटी हा चंदन हे*,चोवा राम वर्मा बादल ( गीत) - *मन भीतरी मा जी कहुं घपटे हे अंधियार* , ज्ञानूदास मानिकपुरी कवर्धा ( छप्पय छंद)- *मुचमुच ले मुस्कान,कहर हिरदय मा ढाथे*, दिलीप कुमार वर्मा (छंद पकैया)- *छंद पकैया छंद पकैया,जाड़ा के दिन आगे।* दीदी आशा देशमुख (शक्ति छंद)- *मिंजाई चलत हे,बियारा भरे*, शशिभूषण सनेही (मनहरण घनाक्षरी)- *धरती ये माता मोर,भाग्य के विधाता मोर* , अजय अमृतांशु भाटापारा (बरवै छंद)- *येती वेती कचरा झन बगराव,कचरा वाले गाड़ी आगे जाव* ,अनुज यादव कोरबा(कविता)- *मॅंय भारत मां के बेटा*, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर ( लावणी छंद)- *अब का तीरथ बरत मॅंय जाहूॅं,बाॅंचे ये जिनगानी मा* , दीदी शोभा मोहन श्रीवास्तव (अंतस के गीत)- *गीत मोर मनखे के पीरा के सरेखा* , जितेंद्र वर्मा खैरझिटिया ( गीत)- *धान लू मिंज के मॅंय,करजा छूट देहूॅं लाला*, जगदीश हीरा साहू भाटापारा (दोहा)- *छत्तीसगढ़िया मॅंय हरॅंव,बोल लगे ना लाज*, ओमप्रकाश साहू अंकुर सुरंगी (कविता)- *छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया*, एडमिन श्री अरूण कुमार निगम (घनाक्षरी छंद)- *शरद ला बिदा देके आय हे हेमंत रितु*, राजेश कुमार निषाद चपरीद (दोहा)- *महॅंगू के तॅंय लाल गा , बाबा घासीदास* बल्दाऊ राम साहू (गीत)- *बड़े बिहनिया हासत कुलकत,सुरूज अब उगइया हे* सूर्यकांत गुप्ता दुर्ग (गीतिका)- *मान हिंदी के हवय जस मोर भाखा के घलव* मनीराम साहू मितान कचलोन (घनाक्षरी)- *खाड़ा मास हाड़ा काट, मूड़ गाड़ा गाड़ा काट* , दीदी सुधा वर्मा ( कविता)- *नोनी तॅंय चिरई कस झन उड़िया*, रामनाथ साहू डभरा जाॅंजगीर ( नव ददरिया गीत)- *मोर पिंयर सैंया पार लगा दे मोर नैंया*, दीदी बसंती वर्मा बिलासपुर (अमृतध्वनि छंद)- *मन के पीरा ला का कहॅंव ,आय बिदा के बेर* , पोखन जायसवाल (मतगयंद सवैया)- *बाल सखा सब संग धरे अउ हाॅंसत कूदत आवय टोली* , महेंद्र कुमार बघेल डोंगरगांव (गीतिका छंद)- *शोध होवत रात दिन जी,चाॅंद के अभियान बर*, दीदी केवरा यदु राजीम (ताटंक छंद)- *राजा दशरथ के ॲंगना मा खेले चारों भैया जी*, दीदी शशी साहू कोरबा (गीत)- *मउहा झरै, रात भर टुप टुप मउहा झरै*, मिलन मल्हरिया (अमृतध्वनि छंद)- *दुख ला सुख के संग मा,समय बाॅंध के लाय* , दीदी शकुन्तला तरार (मुक्तक)- *आने के दुख ला मिटा के देख लव* के प्रस्तुति लगातार चलिस।
बुधियार साहित्यकार मन ले आशीर्वाद लेवत ये गोष्ठी मा सबों प्रतिभागी कवि मन समाज के सरोकार ला आवाज देवत अपन अपन बात कहिन।
येकरे साथ छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर के पाॅंच दिवसीय कार्यक्रम के समापन होइस।
*येमा कोई अतिशयोक्ति नइहे कि राज बने के पहली अउ बाद मा हमर पुरखा सियान मन छत्तीसगढ़ी भाखा के विकास अउ विस्तार बर कोई कसर नइ छोड़िन। नवा बुधियार अउ उर्जावान साहित्यकार मनके सकारात्मक योगदान ले आज वो संघर्ष हर लगातार जारी हे , जे निश्चित रूप से लक्ष्य तक पहुंचे बर हौसला ला बढ़ाथे। तब हम कहि सकथन कि हम सब के साॅंझर मिंझर प्रयास अउ अधिकाधिक उपयोग ले छत्तीसगढ़ी हर कार्यालयीन / राज-काज के भाषा बन के रही।*
महेंद्र कुमार बघेल डोंगरगांव जिला राजनांदगांव