#anilbtapahari
।।सतनाम पंथ का विश्व प्रसिद्ध मोती महल गुरुद्वारा भंडारपुरी ।।
इस भव्य स्मारक को गुरुघासीदास मंदिर के नाम से भी जाने जाते हैं। इसे जीर्णोद्धार / नव निर्माण के नाम पर तीन दशक पूर्व ढहा दिए गये हैं। वहाँ केवल ढाचा मात्र है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि पुरी एक पीढ़ी इस गौरवशाली दृश्यांकन व दृष्टान्त से वंचित हैं । जब देश भर में महत्वपूर्ण स्मारकों का जीर्णोद्धार व अनेक नव आस्था के नवनिर्माण जारी हैं। तब इसके लिए
कुछ भी पहल या हलचल न होना बेहद चिन्तनीय हैं।
देश भर के लाखों- करोड़ों लोगों की श्रद्धा का केन्द्र इस ऐतिहासिक ईमारत कब अपनी पूर्व स्वरुप में स्थापित होगा? इसका उत्तर संभवतः किसी के पास नहीं हैं।
ज्ञात हो कि इसका निर्माण १८२०-३० के बीच गुरुघासीदास के निर्देशन में राजा गुरुबालकदास ने एक दृष्टान्त के रुप में करवाया था ताकि इनके अवलोकन मात्र से सतनाम धर्म संस्कृति की जानकारी जन साधारण को हो सके। यहाँ से ही पुरे छत्तीसगढ़ और उनके बाहर सतनाम पंथ का प्रचार -प्रसार हुआ। देश के कोने -कोने से श्रद्धालु यहाँ आते और मत्था टेक कर अपनी धार्मिक भावनाओं का इजहार करते थे ।अनुपम ज्ञान प्राप्त कर कृतार्थ होते थे। दूर से दर्शन मात्र से गुरु उपदेशना का भावबोध होता था। शिखर के चारों कोने पर तीन बंदर और गरजते हुए शेर का शिल्पांकन से युक्त चौखंडा महल का नीचे भाग तलघर था। संपूर्ण प्रखंड वास्तु व काष्ठ कला की अनुपम कारीगरी रही हैं । यह मानव जीवन के चारो अवस्था का शानदार व्याख्या था।पुरातत्त्व की दृष्टिकोण से अतिशय महत्वपूर्ण इस ईमारत का राजनैतिक उठापटक ,शासन -प्रशासन की अनदेखी और उचित प्रबंधन के अभाव में यह जमींदोज हो गया जो कि अत्यन्त दयनीय व दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थिति हैं।
छत्तीसगढ़ी संस्कृति की अस्मिता और पुरे विश्व के मानव समाज को मानवता का संदेश देने वाली इस भव्य ऐतिहासिक ईमारत की हुबहु प्रतिरुप में निर्माण अत्यावश्यक है।
इस पावन कार्य हेतु गुरुदर्शन मेला मे लाखों दर्शनार्थियों की उपस्थिति में प्रबंधन मंडल की ओर से उचित व सार्थक पहल करते हुए नव निर्माण की घोषणा होनी चाहिए। खास तौर पर अनेक सामाजिक व धार्मिक संगठन है जो सतनाम धर्म संस्कृति के पैरोकार समझते हैं उन्हे चाहिए कि केवल जनप्रतिनिधी एंव गुरुवंशज ही उनके लिए उत्तरदायी नहीं है बल्कि उनके साथ साथ जन समर्थन व सहयोग कैसे एकजुट हो ? इन पर गंभीरतापूर्वक चिंतन मनन व सकरात्मक कार्य करें।
जय सतनाम
-डाॅ. अनिल भतपहरी / 9617777514
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