#PeetMeNotLeave
वैश्विक काव्य मेराथन में आज पंचम दिवस पर बहुमुखी प्रतिभाशाली विधि स्नातक शिक्षिका छोटी बहन श्रीमती शशिबाला सोनकेवरें ( भतपहरी ) को आमंत्रित कर रहा हूँ । बाल्यावस्था से ही खेल -खेल में बच्चों के बीच कविताएँ रचती जैसे-
नाक के अंदर
बड़ा समंदर
झर -झर करते
बहती झरना
ठंडी में जम गये
देखों न डरना
उनकी इस प्रवृत्ति से उत्साहित ऋषि सम पिताश्री सतनाम संकीर्तनकार सतलोकी सुकालदास भतपहरी "गुरुजी "उन्हे ननकुनियां "गार्गी" कहते थे।
उनकी समर्थ हाथों में काव्य मेराथन की मशाल सौंपते आश्वस्त हूँ । एक सप्ताह तक रोज अपनी एक कविता और एक कवि मित्र जोड़कर कारवां आगे ले जाएंगी।
तत्क्षण सेल्फी सहित स्वरचित कविता प्रस्तुत हैं-
सफ़ल वही जो...
खाए -पीए, अघाए लोग
बरजते हैं मत खाओ
कुछ भी मत पीओ
अपच से परेशान रहोगे
हम जैसे बीमार पड़ोगे
अनुभव के नाम पर रोकते हैं
मत जाओं उधर संकट हैं
रास्ते में रोड़े और कंटक हैं
चर्चित वरिष्ठ साहित्यकार
देते हैं नसीहत अक्सर
मिटा दो छपास
और मंच की भूख
इसमें नहीं कोई सुख
उधर सृजन नहीं
मान सम्मान नहीं
क्यों मरे जा रहे हो उद्यम में
उद्योगपति कहते हैं मंदी
कर्ज में डूबकर शौक से
कराने है ताले बंदी
बैठे रहते लिए आरी
फूटकर,थोक व्यापारी
बेरोजगार नौकरी के लिए
आवेदन गुपचुप भरते हैं
क्या पता यही न छीन ले
भीतर मन ही मन डरते है
सभी क्षेत्र में
गलाकाट प्रतिस्पर्धा हैं
देखें तो सर्वत्र
संकट और असुविधा हैं
ऐसे में कोई कैसे
सहयोग की शुरुआत करे
पहल करने
कैसे किससे बात करे
पर सच तो यह हैं
मांजते रहो शस्त्र
पढते रहो शास्त्र
कोई न सुने
सहयोग न करे
निकल चले अकेले
अपनी सामर्थ्य पर
रखो भरोसा
करो उद्यम
टूटे न आशा
जलाओं तो सही
एक नन्हा दीया
अंधेरे में घिरे लोग
पाएन्गे एक ठीया
क्योंकि अधिकतर
अंधेरा कर
सितारें हो गये
तुम बनो तो सही
एक अदद दीये
माना की उसके तले भी
रहते हैं अँधेरा
पर अभियान हो
ईमानदारी से मिटाने
दीये तले का अँधेरा
भूल न जाना
बनना अपना ही दीया
तप सा जीवन श्रमयुक्त
सफल वही जो
बुद्ध सा जीवन किया
-डॉ. अनिल भतपहरी /9617777514
सत श्री ऊंजियार सदन, अमलीडीह रायपुर छ. ग. भारत.
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