सतनाम धर्म संस्कृति के नव प्रवर्तन पर्व -
"सहोद्रामाता झांपी दर्शन मेला "डुम्हा भंडारपुरी फागुन पूर्णिमा की हार्दिक बधाई .....
सहोद्रा माता की झांपी दर्शन मेला डुम्हा भंडारपुरी
२१ मार्च २०१९
गुरुघासीदास की सुपुत्री सहोद्रामाता की झांपी जो (उनके गृहग्राम कुटेला बाद मे डूम्हा मे )उनके परिजन दीवान परिवार के पास संरछित है। उसमे गुरु घासीदास द्वारा व्यवहृत की ग ई सामाग्री संचित है जिसमे चरणपादुका , कंठी और सोटा सम्मलित है।ध्यान दे उनमे जनेऊ आदि नही है। उसे प्रत्येक वर्ष होली के दिन विधिवत पूजा अर्चना कर सफेद वस्त्र से बांधकर पलटे जाते है। जैसे गद्दी व नाडियल पलटते है।
इसे देखने दूर दूर से कुछ विशिष्ट श्रद्धालू आते है।खासकर बोडसरा परिछेत्र जो सहोद्रामाता की ससुराल परिछेत्र है ,उधर के लोग अधिकतर आते है।
आने वाला समय मे डुम्हा ग्राम मेले के रुप मे परिणित हो सकते है ,जहां बडी संख्या मे लोग बाबा जी की उक्त पवित्र अवशेष के दर्शनार्थ आयेन्गे।
हमारी तो यह दिली चाह है कि डुम्हा मे गद्दी सोटा और कंठी माला के लिए भव्य स्मारक बने और दीवान परिवार उनके संरछक सेवादार रहे।
साथ ही साथ गुरु बाबा घासी दास द्वारा सतनाम धर्म प्रचार हेतु लगाए गये ९ रावटी स्थल - चिर ई पहर ,दंतेवाडा , कांकेर ,पानाबरस , डोंगरगढ ,भंवरदाह ,भोरमदेव ,रतनपुर और दल्हा पहाड मे भी स्मारक बने एंव कंठी माला के एक एक मनके को रजत या स्वर्ण मंजुषा मे रखकर स्थापित व संरछित करे।
यह धार्मिक योजना बडी ही महत्वाकांछी योजना है। इनके लिए समाज के सभी वर्ग खासकर गुरु परिवार दीवान परिवार साधु संत महंत भंडारी साटीदार अधिकारी कर्मचारी गण से प्रतिनिधी मंडल बनावे एंव उक्त निर्माण एंव संबंधित जगहो के विकास व वहां मेले संगत पंगत अंगत की सतनामी सांस्कृतिक अनुष्ठान आरंभ करावे।
तब जाकर सतनाम धर्म के मार्ग प्रशस्त होन्गे।
धर्म और धार्मिक आयोजन ही जनमानस मे सांस्कृति एकता स्थापित कर सकते है।और परस्पर मेलजोल से संगठन और संगठन से ही शक्ति ।शक्ति से हस्ती और हस्ती से युक्ति युक्ति से मुक्ति......!.
धार्मिक आयोजन ही मुक्ति के प्रथम सोपान है। दुर्भाग्यवश समाज मे सिवाय जंयती और मेले के अतिरिक्त कुछ हुआ ही नही न ढंग से कुछ हो पा रहे है...... इस दिशा मे प्रग्यावानों को गंभीरता पूर्वक विचार विमर्श करना चाहिए ।
इस फागुन पूर्णिमा को इच्छुक श्रद्धालू गण डुम्हा भंडारपुरी जाकर माता सहोद्रा की झांपी में यत्नपूर्वक रखे सद्गुरु घासीदास की सोंटा चरण पादुका कंठीमाला एंव अंग वस्त्र का पावन दर्शन लाभ कर सकते है।
गांव वालों सहित समस्त संत महंत दीवान परिवार के साथ मेला लगाने की गुरुवंशजो की मार्गदर्शन लेकर सार्थक पहल कर सकते है। सतनाम धर्म- संस्कृति में यह मेला अभिनव पहल होगा। इससे जनमानस का नैतिक उत्थान सहित सर्वांगीण विकास के मार्ग प्रशस्त होन्गे।
सतनाम
डा अनिल भतपहरी
चित्र - तपोभूमि गिरौदपुरी के मुख्यमंदिर औंरा धौरा वृछ के समीप तेंदूवृछ के तले हम तीनो भाई अनिल सुनील सुशील
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