Thursday, September 24, 2020

वाक्या

आँखों देखी सत्य घटना 

।।वाक्या ।।

सांइस की इस युग में वह भी एन्ड्राइड और सोशल मीडिया मे  यह आखिन देखी  व्यक्त करना हमे भी रहस्यमय संसार को समझने मे बड़ा ही दुरुह लग रहा  है ।
अनन्य तर्क -वितर्क व उलझन के बाद  अंत मे सब संयोग है कह अपनी तर्क और ज्ञान  को सीमा बद्ध कर जिज्ञासु बने रहने के उपक्रम करते है,और यह वाक्या जो हुआ उसे दुहराते है-
  हुआ यूं बस मे एक महिला अपनी एक सवा वर्ष की बच्ची को लेकर सफर कर रही थी।भली चंगी उनकी बच्ची एकाएक रोने लगी चुप होने की नाम नही..
उनकी माँ सहित आसपास की  यात्री परेशान।पानी खाजी और दूध पिलाने के असफल चेष्टा कर मां भी बच्ची के साथ फफकने लगी।घन्टे भर बिलखती बच्ची और मां की दशा वाकिय मे करुणाजन्य थी ,पर चलती बस मे करे तो क्या करे? महिला को लवन के पास कोई गांव जाना था।सबके पूछने पर कहने लगी-" पन्दरही होगे १-२  दिन बाद अपने -अपन उमिया जथे।डाक्टर बैद ब इगा सब धर डरेन।रइपुर लाने रहेव डाक्टर सो
ये दे फेर जस के तस हे ।" और वह भी हताश रोने लगी
यात्रियो मे सम्मलित एक बुजुर्ग से यह देखा नही गया।वह उठे और बच्ची के सिर पर हाथ फेर कर बुदबुदाने लगे।सब लोग कौतुहल वश देखने लगे ..
वे ५-७ मिनट तक उनके सर और बदन पर हल्का सा हाथ फेरते रहे।बुजुर्ग कंठी माला  पहने हुये उसे झुकाकर स्पर्श कराए और सेत गुरु साहेब सतनाम उच्चारित करने लगे
...पल भर बाद एकाएक बच्ची चुप और बिफरना  बंद शांत हो गई। सभी लोग कौतुहल वश बच्ची और बुजुर्ग की ओर देखने लगे... मै भी हतप्रभ ! ऐसे कैसे हो‌ गया?
.भैसा के आसपास वह बुजुर्ग उतर गये। और आधे घन्टे बाद मै पलारी उतर गया।महिला संतुष्ट भाव लिए सोती बच्ची को दुलारती अपने गंतव्य की ओर इत्मनान पूर्वक चली गई यात्रिगण तरह -तरह की  बातों मे  लगे रहे और मै  गहन विचार विमर्श मे ...अंतत: मुसझे रहा नही गया और यहां पोष्ट कर बैठा!  वह निर्धन असहाय महिला कौन थी और वह कंठी धारी  सेतवसना मुंछ पर बिन दाढी वाले पैट शर्ट कंठी पहना अधेड़ सा व्यक्ति जो सतनाम उच्चारा ,वह कबीर पंथी या सतनामी थे? यह भी ज्ञात नही। न ही लोग. उनके धर्म ,जात- पात जानने के इच्छुक थे न पता ठिकाना। पर एक छण. के लिए उनका प्रभाव कायम हो चुका था।
बाहरहाल.  कृपया कोई इसे अंधविश्वास फैलाने वाली बात न समझे।
    सतनाम 
डां अनिल भतपहरी/ 9617777514

No comments:

Post a Comment