लघु कथा
"कार कुत्ता कल्चर"
प्रात: सैर के उपरान्त छत पर गुनगुनी धूप सेकते पड़ोसियों को लड़ते देखा एक तमतमाते कह रहा है -"कार हमारे अहाते से क्यों सटा कर रखे हो?"
दूसरा खिसियाते कहने लगे- "कुत्ता पाले आप ,सड़क पर गंदगी करावें आप !चलना तक दुश्वार हैं! कुत्ते के लिए घर में टायलेट क्यो नहीं बनवाते ?"
मांजरा समझ में आया कि उनके नये एक्स यु वी पर गंवार अल्सेसियन डेविड के बे मौसम आंखो देखी बरसात पर आग बबूला हैं।
दोनो साथ-साथ गृहप्रवेश किए आज तक एक अपने खटारा फियेट से ऊपर नहीं उठे, दूसरा कार के ऊपर कार सो यह तरक्की के जलस और साथी के अवहेलना का आलम हैं। कालोनी के इर्दगिर्द और कालोनियां बस जाने से सुरक्षित अब पार्किंग में कार नहीं सड़क पर रखी जाती हैं। वैसे भी पार्किंग में बच्चों की स्कूटी और बाइक कब्जा कर लिए हैं। इनके द्वारा भविष्य में यह समझे जाय कि जगहें न होने से कार और कार मालिक अब इस तरह सड़कों पर ही होन्गे!
तो इस तरह जूतम-पैजार हर पास कालोनियों में देखे जा सकते हैं जहाँ "कार कुत्ता कल्चर" आबाद हैं।
-डा.अनिल भतपहरी 9617777514
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