Tuesday, September 15, 2020

चाह

।।चाह ।।
अपनी खिड़की हो
अपना हो आसमान 
छत पर खड़ा हो तो 
जगे जरा स्वाभिमान
कर्म भी सविशेष हो 
धर्म से मिले सम्मान 
सुख से बीते जीवन 
ऐसा हो प्यारा मकान 
फिर ग़म नहीं छोड़कर 
जाने से इस जहान 
मरते सभी तो एक दिन 
पर जिंदा रहे होकर इंसान
  -डाॅ.अनिल भतपहरी
इंद्रावती , १५-९-२० समय दोप  ३ बजे 

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