ग़ज़ल काव्य की एक विधा मात्र हैं।
असल चीज़ है काव्य का होना।
मात्रा वर्ण रदीफ़ काफिया बहर शेर श्लोक मंत्र सूक्त छंद दोहा चौपाई आदि केवल तकनीक मात्र हैं।
तकनीक हो पर काव्य न हो तो तकनीक का कोई मतलब नहीं ।
अब छत्तीसगढ़ में मीनार गुम्बद नहीं बन सकते कहना या समझना नादां या अल्पज्ञ होना हैं।
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