"क्रांति द्रष्टा : मंत्री नकूल देव ढीढी"
महान मानवतावादी विचारक और छत्तीसगढ़ मे गुरु घासीदास के सिद्धान्त "मनखे मनखे एक" को व्यवहारिक धरातल मे स्थापित करने मे मह्ती भूमिका निभाने वाले क्रान्तिद्रष्टा मंत्री नकूल ढीढी का जन्म १२ अप्रेल १९१४ मे भोरिन्ग महासमुन्द मे हुआ।आपके कारण ही सर्व समाज मे पौनी पसारी राउत नाई धोबी प्रथा का प्रभावी प्रचलन हुआ ।पारंपरिक शोषण वृत्ति के जगह सेलुन लाण्ड्री जैसे नवीन व्यवसाय शहरो और बडे ग्रामो मे खुले और ये श्रमिक जातियां सांमती शोषण से बचे
परित्यक्ता विधवा विवाह हेतु चूडी पहनाई और बरंडी जैसे गुरु घासीदास प्रवर्तीत नवीन प्रथाओ का प्रभावी रुप मे प्रचार प्रसार कर महिलाओ की दयनीय दशा को सुधारने मे अभूतपूर्व कार्य किया।अपने पुश्तैनी अस्सी एकड जमीन और उसके आय को सामाज सेवा को समर्पित कर दिये।
नकूल देव ढीढी एक ऐसे समाज सुधारक व सेवक रहे जो पद प्रतिष्ठा के लिए नही बल्कि समाज के स्वाभिमान व आत्मसम्मान के लिए आजीवन संघर्ष किया।
हिन्दू और सतनामी छग के गांवो मे समान रुप से बसे है इसके बावजूद दोनो के बीच एक सांस्कृतिक रुप से स्पष्ट विभाजन देखे जा सकते है।किसी भी गांव मे भले जातिय बसाहट हो पर अधिकतर सभी जातिया चाहे वह ब्राह्मण छ्त्री वैश्य या शुद्र मे अनगिनत पेशेवर जातिया यथा तेली, तमोली, कुरमी कोयरी, मरार, महार ,लुहार रावत, नाई, धोबी, गाडा मेहतर चमार मे भोलिया रौतिया मेहर मोची सभी एक साथ एक दुसरे से अभिन्न रुप. से आबद्ध है।और वे अनेक भिन्नता के बावजूद हिन्दू है।क्योकि उन सबके कुल देवता अलग अलग है। पर सारे देवी- देवता त्रिदेव के अधीन बहु देवोपासना है। इन सबसे अल्हदा
एकेश्वरवाद सतनाम सतपुरस के अवधारणा से सहज कर्मयोग पर आधारित सतनाम धर्म. और इसके अनुयायी सतनामी है।जो समानता और गुण के आधार पर संगठित है। मनखे मनखे एक जैसे उदात्य सिद्धान्त और जाति वर्ग विहिन समाज जो सबको अपने मे सागर सदृश्य समाहार करते है। इसलिए जात पात भेदभाव उच् नीच वाले हिन्दू लोग इन से द्वेष जनित व्यवहार करते है और मेलजोल से इसलिए बचते है कि सतनामी न बना ले।अपने मे समा न ले !
मंत्री जी हिन्दुओ के इन्ही वर्जनाओ और द्वेषभाव के विरुद्ध शंखनाद करने वाले कुशल क्रांतिकारी योद्धा थे।
उनका संग्राम संवैधानिक रहे। वे दो टूक साफ साफ कहते - यदि हमे हिन्दू मानते है तो पौनी पसारी की सुविधा मिले।यदि नही तो दोषी को कानुन सजा दे। या तो हिन्दू से हमे पृथक करे। उनके भाषण तर्क सम्मत सरल व हृदयग्राही थे।वे तत्कालीन सभी राजनेताओ मे मुखर थे।समाज कल्याण हेतु अनगिनत मुकदमे लडे।
फलस्वरुप वे जनमानस के हृदय में राज करते आ रहे है। उनके जाने के बाद समाज उन्हे मंत्री और दादा जैसे आत्मीय शब्दो से संबोधित करते है।
ईसाई और बौद्ध धर्म की सिद्धान्त और विशेषताओ ने उन्हे प्रभावित किया। आचरण गत शुद्धता और सादा जीवन उच्च विचार ,परोपकार विरासत से उन्हे सतनाम से मिला ।फलस्वरुप उनके व्यक्तित्व एक युग द्रष्टा संत सदृश्य रहे।सतनामी समाज मे वे कुशल प्रबंधक, जंयती मेले जैसे वृहत बडे आयोजन
कर्ता के रुप मे विख्यात. थे।
१९३० महज सोलह वर्ष के उम्र में आपने खेलुराम और महन्त बरनू कोसरिया के साथ तमोरा महासमुन्द जंगल सत्याग्रह में भाग लेकर गिरफ़्तार हुए। अपने
गांव भोरिंग मे उत्साही नवयुवको के साथ मिलकर रामलीला का मंचन करते रावण का अभिनय करते और बेहतरीन पारंपरिक मंगल भजन पंथी संकीर्तन भी करते। पहले- पहल कांग्रेस व गांधी के प्रभाव में रहे गांधीवादी ईसाई पादरी एस डी एम सिन्ह जो गुरुकुल कांगडी के संचालक थे के प्रभाव से आपने रामलीला के जगह सामाजिक चेतना लाने हेतु १९३६ - १९३८ में गुरु घासीदास जंयती व संकीर्तन आरंभ कर परिछेत्र मे प्रसिद्धी प्राप्त किए । १९४२ अग्रेज भारत छोडो आन्दोलन में वे अपने साथियों सहित भाग लिए। इसी दरम्यान वे कुछ सडयंत्रियो ने धर्मगुरु मुक्तावन दास को हत्या के झुठी मुकदमा में फसा कर जेल भिजवा दिये उसके लिए संधर्ष किए और डा अम्बेडकर के प्रतिनिधि वकील बाबू हरिदास आवडे से संपर्क कर डा को पैरवी के लिए तैय्यार करवाए और बा इज्जत बरी करवाए। इस तरह संपूर्ण सतनामी जगत में वे विख्यात हुए।आगे चलकर आपने डा अम्बेडकर के शेड्युल कास्ट फेडरेशन से जुडकर आजीवन उनके मिशन को गतिमान रखे आप आर पी आई. के संस्थापक सदस्य रहे। म प्र. गठन के पूर्व से ही सीपी एण्ड बरार के समय १९५१ में पृथक छत्तीसगढ़ के परिकल्पना कर अपनी बाते रखते रहे।
आर पी आई के बैंगलोर अधिवेशन मे पृथक छत्तीसगढ हेतु आवाज बुलंद किए इनके लिए आन्दोलन चलाए व १७ अक्टबुर १९७२ से सत्याग्रह मे बैठे १० दिन बाद २७ अक्टूबर १९७२ को गिरफ्तार कर लिए गये इस तरह वे प्रथम जेल यात्री रहे।अपने १९ सहयोगी सहित जेल यात्रा करके वे मिशाल कायम किए। उनके अनन्य सहयोगियो मे नन्दूनारायण भतपहरी, रामचरण, इन्द्रदेव टंडन, सुखरु प्रसाद बंजारे र म ई फत्तेलाल ,रामलाल, किशुन सुकालदास भतपहरी धनिराम सखाराम चन्द्रबलि किशुन गेन्डरे धनसिह भिछु रामेश्वरम ,कोन्दा प्रसाद बधेल,.मनोहरलाल. भीषम्देवढीढी, बाबु हरिदास आवडे खेलुराम टंडन दौव्वा आवडे, महंत बरनु कोसरिया , जैसे सैकडो प्रतिबद्ध सहयोगी के साथ सामाजिक जागरण के कार्य मे संल्गन रहे डा अम्बेडकर के विश्वस्त लोगो में आपका नाम रहे।आपने विदर्भ वादी नेता बी डी खोब्रागढे दादासाहेब रुपवते आर एस गव ई देवीदास वासनिक जीएस कट्टी समता सैनिक दल के अध्यक्ष ए आर बाली प्रख्यात बौद्ध भिछु भदन्त आनंद कौल्यायन इत्यादि के साथ मिलकर डा अम्बेडकर चेतना और मिशन को आजीवन समाज में विस्तारित करते रहे।
वे कुशल प्रवक्ता संकीर्तन कार कानुन के जानकर थे।
डा अम्बेडकर के निकटस्थ सहयोगी वे रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया के छग प्रभारी रहे और आजीवन रायपुर महासमुन्द आरंग लोक सभा / विधान सभा चुनाव लडते बहुमुखी प्रतिभा के धनी मंत्री जी सामाजिक चेतना को गतिमान करते हुये १६ अगस्त १९७५ को सतलोक प्रयाण कर गये।
ऐसे क्रान्ति द्रष्टा और युग सचेतक महापुरुष मंत्री दादा नकुलदेव ढीढी के पूण्यतिथि
अवसर पर सादर श्रद्धांजलि उन्हें शत शत नमन -----
जय जय हो मंत्री नकुल देव ढीढी
तोर पूजा करही पीढी पीढी ।।
सत श्री सतनाम
डा. अनिल भतपहरी सी ११ ऊंजियार सदन आदर्श नगर अमलीडीह रायपुर छग
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