Thursday, May 24, 2018

तन के तिजउरी म मन के रतन भरे हे

" गीत"

तन के तिजउरी म मन के  रतन भरे हे
किन्जरत  गली- खोर म  साधू अउ चोर 
सबके नंजर गडे हे
त कइसे बचाव
उन ल कइसे भरमाव
कोनो उक्ति बताव ...

जब ले चढे हे ये बइरी जुवानी
जीव के जंजाल  बड होवय हलकानी
कोनो‌ सुध्धर जुगती मढाव ...

गहना गढाय न दान पुन जाय
धरखन काकर कहे न कछु जाय
बउरे बिन जिनिस महगी फेकाय...

खिरत हे उमर रतन पैरावट कस
गंजाय
मय मुरख  एला सकेव  न भंजाय
थकत हे जान्गर कोनो रद्दा मुक्ति के बताव....

    - डा. अनिल भतपहरी
१८-५-१७ ९ बजे रतिहा  बिरसपत ।ऊंजियार- सदन।

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