Wednesday, May 30, 2018

असमिस सतनामी ‌विषम वातावरण और परिस्थिति के बावजूद आबाद है। अब वहां भी समृद्धि आने लगी है। पहले जीवन चलाना महत्वपूर्ण थे अब जीवन को बेहतर व उन्नत करना नितान्त आवश्यक हैं।
    छत्तीसगढ़ में सतनामी समाज में सात्विकताए और अनेक लोक कला धर्मी व विचार वान समुदाय रहे हैं। पर आजादी के बाद समृद्धिया के साथ साथ राजनैतिक जागरण तो आए पर अनवतरत सांस्कृतिक उत्थान के जगह पतन ही परिलक्षित हो रहे हैं। ऐसे में सुदूर असम से यह मनोहर  पंथी भजन और उसमे सात्विकता की बाते यहाँ वहाँ दोनो जगह प्रेरणीय हैं।
    धरा सतनाममय हो ।।सतनाम ।।

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