"सच में"
सच में आजकल
आजकल सच में
झूठ को सच बनाकर
प्रस्तुत किए जाते हैं
और सच को
झूठ बनाने के लिए
बिना जिक्र किए
कोई फिक्र किए
अवहेलना पूर्वक
तिरस्कृत करके
बहिष्कृत कर दिए जाते हैं
फिर सत्य
जमींदोज हो जाते हैं
कोई नहीं
जो करे उसे पुनर्स्थापित
क्योकि
आजकल मिथकों में ही
सब कुछ हैं संस्थापित
सच में यहां
मिथक ही हैं महिमामंडित
और सच हैं अभिशापित !
डा. अनिल भतपहरी
९६१७७७७५१४
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