आपके वास्ते छकड़ी हमरी
बिन पिये निसा चढे
तेंदू चार आमा मउरे दुल्हा कस सम्हरय।
जाय बर बरतिया भंवरा मन मगन मंडराय।।
सोला-सिंगार साजे परसा दुल्हीं डेहरी झांकय ।
आवत हे लेनहार कुहकत कोयली हांका पारय ।।
महुंआ मन रस घोरय अउ खेत-खार बगियाय ।
ये महिना मं सित्तो बिन पिये नंगत निसा चढ़ जाय ।।
बिंदास कहें - डा. अनिल भतपहरी
चित्र - मउर साजे दुल्हा चार राजा के संग बरतिया अनिल , सिरपुर जंगल ।
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