"पौधारोपण गीत "
हमर गांव म जंगल रहितिस त
तेन्दु चार मउहा गस्ती खातेन
जातेन डोंगरी पहाड संगवारी
करमा ददरिया संग मस्ती उडातेन ....
१
रहिस होही तइहा म ओ
जंगल सिरागे
बड दुख के बात गांव म रुख राई नइये
सपना मसुने नइयन मंजुर बोली
सुनके हिरदय म खुशी मनातेन ...
२
कब आथे फागून कब आथे हरेली
जाने बर देखे ल परथे पातरा बरपेली
चिरई- चुरगुन मन गीत गातिस
फूल ल देख भौरा मोहातिस
त बारो महिना ल हम जान जातेन ....
३
बंजर भाठा भर्री ल चल आज
सवारलिन
किसिम किसिम के पौधा ल
सुघ्घर लगालिन
पौधरोपन तिहार ल जुलमिल मनातेन
धरती के अंचरा ल सुघ्घर हरियातेन ...
डा. अनिल भतपहरी
अध्यक्ष
छत्तीसगढी राजभासा साहित्य समिति
चित्र - शा बृजलाल वर्मा महाविद्यालय पलारी के परिसर में विकसित हरितिमा । रासेयो स्वयं सेवक व महाविद्यालयीन प्रबंधन के सहयोग से ।
(कार्यक्रम अधिकारी के रुप में हमारी छोटी सी भूमिका रही हैं। )
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