Wednesday, July 29, 2020

केरल की पीड़ा

मुन्नार केरल में  १२ वर्षो के अंतराल में खिलने वाली कुरंजी देखने जाने का मन ही नहीं संकल्प  था जब २०१५ में वहाँ स्थानीय लोगों से यह जानकारी मिली। यस क्लब‌ महिन्द्रा मेम्बर  बुकिन्ग हेतु प्रयास किए पर अब  वहां प्राकृतिक विपदा के चलते  कैंसल कर दिए ..... अब वहां अनुकूल मौसम में पुनश्च जाएन्गे ।
      ४ वर्ष पहले जिस हसीन और खुशमिजाज  केरल को देख हर्षित रहे जहां के केले चिप्स  चाकलेट और धार्मिक अनुष्ठान हेतु  स्वर्णिम किनारी युक्त श्वेत साड़ी धोती खरीद अडामाली के अन्नानाश और प्राकृतिक रुप से पके केले खाकर मुदित हुए।पुट्टु इडली दोसा सांभर तो नित्य खाते ।और जब अरवा  चावल की भात  नहीं मिले तो मुन्नार के बाजार से अरवा चावल ले रिसार्ट के ओवन में पकाकर बच्चो को खिलाए तब कही जाकर मन तृप्त हुआ।
 आज वहां  प्रकृति के विनाश लीला देख मन हृदय  हतप्रभ व आवाक हैं! 
       कोचीन के मरीन ड्राइव में बैठे उत्तरभारतीय लोगो के खोमचे नुमा चलित  पान ठेले से पान खाकर जब हिन्दी बतियाए तो उन लोगों का खुशी का ठिकाना नहीं । वे हमारे श्यामल रंग देख साउथ इंडियन समझते रहे पर छत्तीसगढ़िया जाने तो उनकी यादे  भिलाई के किसी रिश्तेदार के संस्मरण जोडकर हमारे लिए एक छण आत्मीय बन गये । 
       आज वह समृद्धशाली केरल जहां कपड़ों की लोच बस की  खिड़कियों में काच की जगह और बस कंडक्टर रस्सी खीचकर धंडी बजाते तो समृद्धि और परंपरा का अनोखा समन्वय देख हर्षित होते रहे ।वास्कोडिगामा पैलेस  मशाला बाजार और चेराई बीच कभी न भुलने वाली मनोरम स्थली है।  
 केरल  की  हालात देख मन द्रवित हैं। शीध्र विपदा से बाहर आने की मंगल कामना सत्पुरुष से करते हैं। कुरुंजी देखने की साध आने वाले बारह वर्ष में गर रहे तो वर्तमान  से सशक्त व सुदृढ़ केरल का दीदार होन्गे इस आस विस्वास से समस्त केरल वासी के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करते हैं कि इस दारुण दशा से  उबरने आत्मबल मिले  दु: ख सहने की शक्ति सतनाम सतपुरुष से मिले। काश! सतनाम सेना वहां मानवता की  सेवा हेतु प्रस्थान कर सके तो बड़ी कृपा होगी ।

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