"आगी गुंगवात हे "
रीस तरपंउरी के माथा म चढ जात हे
अंतस भीतरी म आगी गुंगवात हे....
कइसन समे आगे सच बोले न सुहाए
देख करतुत छलियन के मन कठुवाए
निंदा चारी अउ लबारी ह ममहात हे ...
किसान के फसल सस्ती देख जी कौव्वाय
बैपारी के फेशन मांहगी हाथो -हाथ बेचाय
लहु पसीना गारे जिनिस सडक म फेकात हे..
जेन जातिस जेल ओ मगन बइठे रचे खेल
चुलका के चुलकाहा मन घुरवा म देहे ढकेल
चाल बइरी के समझो लिख -लिख लिगरी लगात हे....
तोर ददा के मालपानी , मोर ददा के माटी ये
तोर बियाज बनिज त हमर धनखर पुरखौती ये
तोरेच लुक म रे बसुन्दरा हमर खरही लेसात हे ....
पीरा लुस के देखे सुख लुसइय्या लबरामन
बडका पागा पारे किदरे ओ दिन के नंगरामन
बिन फूले डोहडी डार म अइलात हे....
डा. अनिल भतपहरी
९६१७७७७५१४
ऊंजियार- सदन
अमलीडीह ,रायपुर
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