Sunday, April 5, 2020

आगी गुंगवात हे

"आगी गुंगवात हे "

रीस तरपंउरी के माथा म चढ जात हे
अंतस भीतरी म आगी गुंगवात हे....

कइसन समे आगे सच बोले न सुहाए 
देख करतुत छलियन  के मन कठुवाए 
निंदा चारी अउ लबारी ह ममहात हे ...

किसान के फसल सस्ती  देख जी कौव्वाय 
बैपारी के फेशन मांहगी हाथो -हाथ बेचाय 
लहु पसीना गारे जिनिस सडक म  फेकात हे..

जेन जातिस जेल ओ मगन बइठे रचे खेल
चुलका के चुलकाहा मन घुरवा म देहे ढकेल 
चाल बइरी के समझो लिख -लिख लिगरी लगात हे....

तोर ददा के मालपानी , मोर ददा के माटी ये 
तोर बियाज बनिज त हमर  धनखर पुरखौती ये 
तोरेच लुक म रे बसुन्दरा हमर खरही  लेसात हे ....

पीरा लुस के  देखे सुख लुसइय्या लबरामन  
बडका पागा पारे किदरे ओ दिन के नंगरामन 
बिन फूले डोहडी डार म अइलात हे.... 

डा. अनिल भतपहरी‌ 
९६१७७७७५१४
ऊंजियार- सदन 
अमलीडीह ,रायपुर

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