"मानव तेरा जय हो "
जय हो सदा मानव का विजय हो
ज्ञान विज्ञान की हर तरफ उदय हो
कोरोना का यह कैसा कहर
वीरान होते गांव कस्बा शहर
चहुंओर हो रहे हैं हाहाकार
स्तब्ध संस्थाएँ और सरकार
कोई आयोजन नही न हैं समारोह
दुबके अपने घरों में भयभीत लोग
खाली चलती बस ,रेल और विमान
स्कूल कालेज वीरान थिएटर और उद्यान
लगता हैं छिड़ चुका हैं विश्वयुद्ध
संकट विकट चल गया भयावह आयुध
करोड़ों-अरबों संपदा की हो रही क्षति
बचने- बचाने की कोई नहीं हैं युक्ति
ऊपर से प्रकृति का यह कैसा हैं तांडव
बिन मौसम बरसात होते विचित्र विप्लव
फैलते वायरस इससे गुणात्मक रुप
सार्स ,वर्ड फ्लू पीलियादि का भी प्रकोप
भी हो रहे है संयुक्त
हो रहे प्रकोप हर तरफ भयंकर
मचाएं है प्रलय महामारी का रुप धरकर
भीषण भय फैलाते अफवाहे चहुं ओर हैं
देव धामी नबी संत गुरु हो रहे कमजोर हैं
कोई न रहा अब देने मानव को आत्म संबल
करे प्रार्थना किससे सभी हो रहे हैं निर्बल
मिट रही थी सदियों की अमानवीय प्रथाएँ
भेद भाव अस्पृश्यताएं जैसी कुप्रथाएँ
पुनश्च सजीव कर गई डायन कोरोना वायरस
गले-हाथ मिलाकर होंगे कैसे अब हम समरस
जीत भी जाय पर भय रहेगी कायम
अभिशापित निगोड़ी कोरोना बेरहम
क्षय हो तुम्हारा मानवता हो विजयी
सुन लो अज्ञेय शक्ति अनिल की विनती
जय हो सदा मानव का विजय हो
ज्ञान-विज्ञान की हर तरफ उदय हो
मिले कोई उपाय औषधियाँ विकसित हो टिकाएं
धैर्य रखे सभी रहन सहन में स्वच्छता अपनाएं
परस्पर मानव समुदाय रहे आपस में सम्हलकर
महामारी से निपटे तृतीय विश्व युद्ध समझकर
हरदम हाथ धोवे और रहे मुख टोप लगाकर
फहराए जैतखाम में पालो इस युद्ध में जीतकर
-डा.अनिल भतपहरी /9617777514
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