Tuesday, May 4, 2021

काकर घन तेरा

कोरोना काल में भी धनतेरस आबाद रहा उन पर एक छत्तीसगढी कविता  जो आज ५ म ई को पत्रिका में ‌प्रकाशित हुई।

काकर धन तेरा ( स )

बरसे बेरा कुबेरा 
काकर धन तेरा 
अजब हवे लुटेरा 
सांझ का सबेरा 
परे बिपत घनेरा
कुलुप बस्ती डेरा 
शहर अंजोर तेरा 
सुख ले लुटिन लुटेरा 
हमर जिनगी अंधेरा
काकर हवे धनतेरा 
ये जिनगी के फेरा 
लीले सुख्खा कौंरा 
भइगे सरग निटोरा 
सरकार कोंदा -भैरा 
बाचे हवय देवारी  
कछु करय संगवारी  
किसान रोवे हांसे बैपारी 
ऐसन बात नइये संगवारी 
गलत-सलत नियाव-नीति
देखे बर दु:ख ओकरे सेती 
झेलत हवय  देश मंदी 
ओखी के खोखी नोट बंदी 
ऊपर से कोरोना महामारी 
माते सब डहन हाहाकारी 
इंहा तो हवे सबके करलाई 
बाढ़त हे सुरसा कस महंगाई 
लगे दु:ख पीरा के ओरी 
कइसन देवारी अउ काखर देवारी 
सिरतोन अब तही बता संगवारी 
गुनत गोठ भंजावत मन मेरा 
बिपत मं अब काकर धन तेरा (स)

    डाॅ. अनिल भतपहरी/ 9617777514
     सत श्री ऊंजियार सदन अमलीडीह रायपुर

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