।।छत्तीस तुकबंदी डाड़ ।।
जनम ले हर मनखे होथे एक समान ।
फेर करम ले होथे गुड़ -गोबर मितान ।।
सच बात ल कहिथंय हमर सियान ।
लबारी कहिस तेन हो जथे तुरते बईमान ।।
सुनव संगी तुमन एला बने धरके धियान ।
हितवा होथे जम्मों बदथे ओकर संग मितान ।।
जेकर कोठी मं भरे रहिथे सदा धान ।
तेकर मन हं अक्सर रहिथे सदा आन ।।
रात चाँदी होथे ओकर अउ सोनहा बिहान ।
करमइता बिकट अउ हच बड़ सुजान ।।
परलोखिया के बुध कभुच झन मान ।
करव झन अपन मन ल आन -तान ।।
झगरा के जर होथे ईरखा जुआ नशा -पान ।
बैठांगुर के करिया मंतर मोहनी जुबान ।।
सउक पुरोलव कहिके खवा देथे बिरो पान ।
उल्टा - पुल्टा सिखोवय अउ हर लेथंय मान ।।
रुख्खा -सुख्खा झन तजो कहय अपन परान ।
किसिम किसिम के होथे ओकर सुख सजान ।।
सुख भोगे जनम धरे हस लिगरी के मारे बान ।
मन मोकाय भोरका मं गिर के होथे बदनाम ।।
सोन ऊपजइया हच तय बेटा खरतर किसान ।
जोम जांगर ले तोर कहाये भुंइया के भगवान ।।
भरव मिहनत कर अपन कोठी मं धान।
पढ़ाव लिखाव लइका अउ बनाव विद्वान ।।
नौकरी- बैपार मं बनेच धरव धियान ।
नर -नीति बर तको लगाय करव जी जान ।।
सम्हाल के राखव सबो अपन मान- सम्मान ।
जनम घरेव मनखे त बनव सुघ्घर इंसान ।।
करव सतकरम धरव सतधरम बनव गुनवान ।
बोली बतरस मीठ करु कसा ले रहव अंजान ।।
लंद- फंद ल दुर बाहिर रहव सदा संत समान ।
सुख-सम्मत मं जिनगी बीते मिलही मान सम्मान ।।
मोह मया के फांदा टुटही मिटही गरब गुमान ।
तभेज पाहुं जीते जी परम -पद -निरवान ।।
हमरो कहना ल संगी चिटिक लेवव मान ।
जय- जोहार राम- राम अउ जय सतनाम ।।
-डाॅ. अनिल भतपहरी / 9617777514
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