Saturday, May 15, 2021

छत्तीस तुकबंदी डाड़

।।छत्तीस तुकबंदी डाड़ ।।

जनम ले  हर मनखे होथे  एक समान ।

फेर करम ले होथे गुड़ -गोबर मितान ।।

सच  बात ल  कहिथंय  हमर  सियान ।

लबारी कहिस तेन हो जथे तुरते बईमान ।।

सुनव संगी  तुमन एला बने धरके  धियान ।

हितवा होथे जम्मों बदथे ओकर संग मितान ।।

जेकर  कोठी मं  भरे  रहिथे  सदा  धान ।

तेकर  मन हं अक्सर रहिथे सदा  आन ।।

रात चाँदी होथे ओकर अउ सोनहा बिहान ।

करमइता बिकट अउ  हच  बड़  सुजान ।।

परलोखिया  के  बुध  कभुच  झन मान  ।

करव  झन अपन   मन ल आन -तान ।।

झगरा के जर  होथे ईरखा जुआ  नशा -पान ।

बैठांगुर के करिया  मंतर मोहनी  जुबान ।।
 
सउक पुरोलव कहिके खवा देथे  बिरो पान ।

उल्टा - पुल्टा सिखोवय अउ हर लेथंय मान ।।

रुख्खा -सुख्खा झन तजो कहय  अपन  परान ।

किसिम किसिम के होथे ओकर  सुख सजान ।।

सुख भोगे जनम धरे हस लिगरी के मारे बान ।

मन मोकाय  भोरका मं  गिर के होथे  बदनाम ।।

सोन ऊपजइया  हच तय बेटा  खरतर  किसान ।

जोम जांगर ले तोर कहाये भुंइया के भगवान ।।

भरव मिहनत  कर  अपन  कोठी मं धान।

पढ़ाव लिखाव लइका अउ  बनाव विद्वान ।।

नौकरी-  बैपार मं  बनेच   धरव  धियान ।

नर -नीति बर तको लगाय करव जी जान ।।

सम्हाल के राखव सबो  अपन मान- सम्मान ।

जनम घरेव  मनखे  त बनव सुघ्घर  इंसान ।।

करव सतकरम धरव  सतधरम बनव गुनवान ।

बोली बतरस मीठ करु कसा ले रहव अंजान ।।

लंद- फंद ल दुर बाहिर  रहव सदा  संत समान ।

सुख-सम्मत मं जिनगी बीते मिलही मान सम्मान ।।
 
मोह मया के फांदा टुटही मिटही गरब गुमान ।

तभेज पाहुं जीते जी परम -पद -निरवान ।।
 
हमरो  कहना  ल संगी  चिटिक लेवव मान ।

जय- जोहार  राम- राम अउ  जय सतनाम ।।

      -डाॅ. अनिल भतपहरी / 9617777514

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