Thursday, August 20, 2020

अजूबा

अजूबा

संभला नही 
बस टूटते
बिखरते गया
इश़्क की 
दरियां में
डूबते-उतरते गया 
हुआ ऐसे 
कैसे कि 
भीतर से 
निखरते गया ...
  -डा.अनिल भतपहरी

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