Sunday, August 16, 2020

सतनाम धर्म कुछ ऐतिहासिक तथ्य

सतनामी समाज से संदर्भित कुछ वर्षों से कुछ लोग व संस्थाएँ  सोसल मीडिया में सतनाम पंथ गुरुघासीदास डाॅ अम्बेडकर उनकी रिपब्लिकन पार्टी और गुरु अगमदास संत- महंत कांग्रेस और मंत्री नकूल ढीढी महंत नंदू नारायण भतपहरी संबंधित  आधी -अधुरी  प्रक्षिप्त जानकारियाँ  दी जा रही हैं। यह सब  डाॅक्टर. अम्बेडकर और नकूल देव ढीढी के व्यक्तित्व व संबंध को प्रदुषित करने का कुत्सित प्रयास मात्र हैं।
   सच तो यह था कि समकालीन समय में सतनामी केवल हिन्दू धर्म की  एक अस्पृश्य जाति  मात्र है। उनके साथ अस्पृश्यता का व्यवहार आज पर्यन्त होते आ रहे हैं।
१९५४ मे डाक्टर अम्बेडकर  मिनीमाता जी के द्वारा सदन मे अस्पृश्यता बिल पास करवा लेने के बाद मंत्री जी  कानुनन थाने/ कचहरी  आदि में नाई -धोबी ,पौनी -पसारी लेने लड़ते रहे और डाॅक्टर अम्बेडकर के रिपब्लिकन पार्टी से जुड़कर समाज सेवा व  लोकसभा चुनाव गुरुओ के विरुद्ध लड़े। वे ऐसा नहीं करते तो समाज में स्वाभिमान व स्वालंबन आते ही नहीं और न ही सेवादार जातियाँ उच्च वर्गों के दबाव के चलते सतनामियों को सेवाएँ देते ।सच कहे तो आज भी सतनामियों के यहां मलनिया नाई नहीं लगते न कोई भी सुविधा भोगी सम्पन्न मालगुजार  / बडे अधिकारी सतनामी  मलनिया नाई लगा सका हैं। यहाँ तक कि घरेलु काम करने वाली रौताइन  बाई  तक सतनामी अधि कारी / कर्मचारी के यहां नही लगते। गांवो मे हमारे कर्मचारियों को किराए का घर तक नही मिलते  शमशान तक अलग है। क्या यह सब बाते पता नही ? बौद्ध धर्म और डाक्टर अम्बेडकर सतनामियों के कब से द्वेषी हो गये ? जबकि गुरु को हत्याकांड से बचाए यह तो सर्वज्ञ है न। और तो उनके बनाए  संवैधानिक प्रावधानों का लाभ वर्तमान में मिल‌ रहे हैं। (जबकि हमारे सक्षम व प्रभावशाली  गुरु जन तो सवर्ण व सामंत बने फिर रहे हैं। और सक्षम व कम प्रभावशाली वंशज गुरु   समाज के दान दक्षिणा पर ही निर्भर होने लगे हैं। )नाईयो से सेलुन में नगद नारायण सेवाएं  दाढ़ी बाल कटवाना /लेना व्यवसायिक  बात हैं। और यह भी १९७०  के बाद ही आया ।
     एक बात और कि नकूल देव ढीढी  व गुरु अगम दास रायपुर लोकसभा सीट के परस्पर प्रतिद्वंद्वी भी थे। बावजूद गुरु के प्रति उनकी निष्ठा रही। जबकि इन लोगों के प्रति  गुरुओ उनके राज महंतो आदि ने प्रखरतम विरोध करते रहे ।यहां तक उन्हे गुरुघासीदास जयंती तक मनाने नहीं देते ।
   बहरहाल डाॅक्टर अम्बेडकर के प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस थे न कि कांग्रेसी अनुजाति वर्ग के नेता जो कि प्राय: गुरु महंत आदि थे । यही  नेतागण   तत्कालीन समय में छग के  समस्त सतनामी  कांग्रेसी नेता जो गुरु महंत आदि थे वे  नकूल देव ढीढी के साथ साथ डॉ  अम्बडेकर के भी प्रखर विरोधी व द्वेषी हो गये। (डाॅक्टर अम्बेडकर के विरुद्ध सवर्ण नेता के बहकावे मे आकर सतनामी समाज की ओर से पर्चे छपवा कर दुष्प्रचार करते रहे उसे छत्तीसगढ़ आने पर प्रतिबंध भी तत्कालीन  शुक्ल सरकार ने किए। इनका साक्ष्य व पाम्लेट हमारे पास उपलब्ध हैं। ) उस समय और अब भी सतनाम धर्म का कोई अतित्व नहीं है। बल्कि आजादी के बाद  से अनवरत हिन्दुओं के विरोध व अमानवीय व्यवहार से छुब्ध होकर न ई पीढी  के पढे- लिखे  लोगो द्वारा विगत ३०-३५ वर्षो से  सतनाम धर्म की मांग होने लगी हैं।
    नकुल ढीढी कभी भी सतनाम धर्म में शामिल होने का प्रस्ताव लेकर डा अम्बेडकर के पास नहीं गये।इसका सवाल ही पैदा नहीं होता क्योंकि तब सतनाम धर्म ही नहीं था। न उनकी ऐसी कोई व्रत उत्सव त्योहार थे जो उन्हे अलग से प्रतिष्ठित करा सकते।
  पता नही किस प्रयोजन से कुछ लोग इस तरह झूठ और मनगंढत करके अनावश्यक भ्रम फैला रहे हैं जो आपत्तिजनक हैं। 
   ऐसा  लगता है कि इस तरह की दुष्प्रचार कुछ ब्रेन वास्ड अम्बेक्राइड और चंद सतनामी कट्टरपंथी लोग कर रहे हैं। फलस्वरुप समाज के नये एन्ड्राउड धारी युवा वर्ग अनावश्यक रुप  दिगभ्रमित हो रहे हैं। हमे इन्हे वास्तविक तथ्यों से अवगत कराने होन्गे ताकि जो सच है उनका उन्हें जानकारी हो सके। वास्तव में इन्ही लोगों से समाज में बिखराव के खतरे मंडराते नजर आते हैं। जबकि कुछ महत्वाकांक्षी  ऐतिहासिक धटना क्रमों को नजर अंदाज कर सतनाम धर्म के लिए सबको मिलजुल काम करना चाहिए।  
   आजादी के बाद १०४७ से  १९५६ तक का कालखंड का एक एक  महत्वपूर्ण घटनाओं का ऐतिहासिक दस्तावेज उपलब्ध है। यु ही किसी के आंखो में धूल नहीं झोका जा सकता ।
    ऐसे आलेख को न वायरल करे और न ही उन यकीन करे।
       डाक्टर अम्बेडकर भारत के समस्त अपृश्य समाज के मसीहा है उनके विराट व्यक्तित्व को ऐसे उलुल- जुलुल पोष्ट से  प्रभावित करने की कुचेष्टा व्यर्थ प्रलाप मात्र हैं।
              सतनामियों को अगर सतनाम धर्म लेना है तो डाक्टर अम्बेडकर व बौद्ध धर्म के विरोध करके नहीं लिया जा सकता अपितु सदियों से संग साथ रहकर शोषण दमन अत्याचार करते  आ रहे धर्म और उनके गुर्गों से बचकर रहने से संभव होगा। यह साधारण सी बातें मोटी अक्ल वालों को समझ कैसे नहीं आते यह जरुर विचारणीय हैं।
    
     डाॅक्टर अनिल भतपहरी / 9617777514

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