आपके वास्ते छकड़ी हमरी
नुमाइश
बारिश राहत की और बाढ़ तबाही की
क्या करामत हैं यार लापरवाही की
फिर भी जश्न -ए-शोर है वाहवाही की
लगा हैं मेला- मंजर आवा-जाही की
कुछ नुमाइश जरुरी हैं राजशाही की
ताकि सनद रहे विकास की गवाही की
बिंदास कहे . डाॅ. अनिल भतपहरी
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