Thursday, August 13, 2020

नुमाइश

आपके वास्ते छकड़ी हमरी 
       नुमाइश 

बारिश राहत की और बाढ़ तबाही की
क्या  करामत हैं यार  लापरवाही  की
फिर भी जश्न -ए-शोर है वाहवाही की 
लगा  हैं मेला- मंजर  आवा-जाही की 
कुछ नुमाइश  जरुरी  हैं  राजशाही की
ताकि सनद रहे विकास की गवाही की

बिंदास कहे .  डाॅ. अनिल भतपहरी

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