Thursday, August 6, 2020

करु- कसा १

करु- कसा १ 

समाज भी प्राणियों का समूह हैं।उनके नेतृत्व कर्ता कभी नहीं चाहेगा कि उन्हे अपदस्थ करने उनके वंश कुल के अतिरिक्त कोई  आगे आए इसलिए सदियों तक राजतंत्र रहा। 
     अब लोकतंत्र स्थापित हो जाने से सुविधा भोगी वर्ग एन -केन- प्रकरेण नेतृत्व करते  आ रहें है। खुदा न खास्ता एकाध वंचित तबका  किसी तरह इलेक्टेड या सलेक्टेड हो भी जाय पर वह तंत्र के समक्ष असहाय और किंमकर्व्तविमूढ़म हो जाते हैं। 
       ऐसा सभी क्षेत्र में है चाहे वह राजनीति हो धर्म ,कला ,संस्कृति या कीमयागिरी भी हो। इनमें  लोग अपनी-अपनी जगह पगुराए हुए  बैठे- ठाढ़े हैं। सवाल यह है कि समान अवसर और समान व्यवहार कदाचार आचार विचार कब आएन्गे ? या यह केवल दिवा स्वप्न मात्र हैं।

चित्र- लक्ष्मण धारा अचानक मार बियावन ( पेड्रारोड-अमरकंटक )

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