Thursday, August 20, 2020

सतनाम संकीर्तन कार सुकालदास भतपहरी

सतनाम संकीर्तन कार सुकालदास भतपहरी

बहुमुखी  प्रतिभा के धनि सुकालदास भतपहरी‌ का जन्म 20 -8-1948 को ग्राम जुनवानी के  समान्य कृषक रामचरण मां पीलाबाई सतवन्तीन के घर हुआ।बचपन से ही वह ग्राम में गठित संस्था के कार्यक्रम में शिरकत करने लगे थे।  आगे चलकर अध्ययन करते हुए  युवा अवस्था से ही अनेक सम सामयिक विषय के साथ -साथ मंत्री नकुल ढीढी (मामा जी ) और अपने चाचा महंत नंदू नारायण भतपहरी ( जो मंत्री की बहनोई थे  )के संयुक्त गुरुघासीदास जयंती अभियान(जो कि  1938 से चल रहा था) में  गुरुघासीदास चरित पर आधारित सतनाम संकीर्तन भजन का प्रणयन अध्ययन के दरम्यान अमीन पारा छात्रावास रायपुर में रहते हुए 1965 के आसपास करने  लगे। और प्रस्तुतियां भी देने लगे थे। 
     हमारे ग्राम जुनवानी मे महंत नंदू भतपहरी एंव 
मंत्री नकूलढीढी के मार्गदर्शन  गठित संस्था बालसमाज (1940) के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों वे बाल्यावस्था से ही सक्रिय  थे।वे लोग समव्यस्क साथियों जिनमें सभी भाई -बंधु ,चाचा मामा ही थे के साथ लगे रहते।  और  गुरुघासीदास समारोह में उत्साह पूर्वक भाग लेते ,पंथी नृत्य गुरुचरित लीला एंव सतनाम संकीर्तन करके जनजागरण भी चलाते  । चाचा - मामा के  मार्ग दर्शन और आशीष तो मिलता ही था उनलोगो द्वारा आयोजित जयंती समारोह मे सम्मलित होकर सहभागिता तक निभाते थे।उनके सहयोगियों में अग्रज  मनोहर लाल भतपहरी , भुवनलाल भतपहरी ,भीष्मदेवढीढी का भीखु रामेश्वरम , रामचरण  सुखरुप्रसाद बंजारे  धनसिंग बंजारामेश्वर सोनवानी ,शोभाराम बंजारे आसी जोहनलाल  चंद्रबलि ,किशन अनिरुद्ध दयाल सायतोडे सुन्हर ढीढी  सेवक राम , जुगरुप्रसाद बंजारे , नेकराम बंजारे ,भागीरथी राय, पुरेना जी रमई फत्तेलाल रामलाल  बोधना ,डा उपराम बघेल कोंदा प्रसाद बधेल बिदुर बंजारे , मानसिंग सोनवानी , 
इत्यादि समव्यस्क लोग मिलते जुलते और अभियान के हिस्से दार व आयोजक प्रायोजक भी थे।
               इस दरम्यान 1969 में उच्च श्रेणी शिक्षक पद पर महासमुंद जिला के सबसे बड़ा ग्राम बुंदेली हाई स्कूल में  पदस्थ हो गये। वहाँ भी वह अपनी सांस्कृतिक व सामसजिक कार्य को अनवरत जारी रखा ।वहां नवयुवक समिति बनवाए  और आसपास के ग्रामों जैतखाम स्थापित करवाकर जयंती मनाए सर्व प्रथम सुप्रसिद्ध नाच पार्टी  दानी दरुवन को उस लरियांचल ले गये और उनकी आपार लोकप्रियता के चलते गुरुघासीदास जंयती महोत्सव पुरे परिक्षेत्र में सबसे बडा आकर्षण और उत्सव में परिणत हो गये।  वे शाम को भोजन के बाद 2-3 घंटा सतनाम संकीर्तन की प्रस्तुति देते फिर रात्रि 11 बजे नाच पार्टी आरम्भ होते इस बीच वे सामाजिक संगठन और सतनाम दर्शन को खुबसूरती से कला पूर्ण ढंग से उपस्थित आपार जन समूह को  समझाते थे ।

   इस बीच वे कलाप्रिय अपने सह शिक्षकों और विद्यार्थियो को लेकर  नवरंग नाट्यकला मंच 1975-76 में गठित किए  और चोर चरणदास ,  चांदी के पहाड राह का फूल , संगत  एक मुठा माटी के असरइया जैसे नाटकों का मंचन नवरंग ‌नाट्यकला मंच बनाकर करते व आसपास जयंती/ दुर्गा पूजा कार्यक्रम में करते रहे हैं। हमलोग बाल कलाकार फिर आगे चरणदास चोर में साधु और चांदी के पहाड में प्रमुख पात्र का अभिनय करने का अवसर मिला।
    वे सतनाम संकीर्तन कार ,नाटक लेखक‌ निर्देशक अभिनेता हारमोनियम वादक बांसुरी वादक के साथ साथ आदर्श शिक्षक और प्रभारी प्राचार्य तक रहे । शा हाई स्कूल गिधपुरी में सेवारत सन 2000 में नव गठित छत्तीसगढ़ राज्य के अस्तित्व में आने की खुशी से  मग्न बेहद प्रफुल्लित पिता श्री दीपावली के समय बीमार हो गये । जब नये राज्य अस्तित्व में आए वह रायपुर के हास्पीटल में थे अंततः एक माह बाद  दिनांक 4 दिसंबर 2000 को एम्स न ई दिल्ली में उनका आकस्मिक निधन हो गये ।भरा पुरा परिवार और अपने अदम्य न थकने वाली रचनात्मक ऊर्जा सृजनशीलता से परे न जाने किस लोक में उछिंद हो गये ।
       उनकी गीतो का कैसेट और किताब प्रकाशित है। तथा उनके प्रदेय व रचनाओं का एक संकलन "श्री सुकाल रचनावलि " के नाम पर शीध्र प्रकाश्य हैं। जो कि समाजिक सरोकार से युक्त पठनीय व संग्रहणीय हैं।
       आज जयंती अवसर पर उन्हे शत शत नमन 
                  ।‌।जय सतनाम ।।

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