रिगबिग चंदैनी उवे
सुघर ये मन लूभावे
पुन्नी के चंदा देख
तोर सुरता ह आवे
रानी तोर सुरता आवे न ..
रिगबिग चांदनी uve
जोत्था झोट्ठा जोगनी बरे
सुध लम्हे तोर डहर
मिले बर मन ह हदरे
राजा तोर सुरता आवे न ...
महकत हवय मोंगरा
मुड़ म तोर खोचे गजरा
लगथे तय तीर मे आगें
रानी तोर सुरता आवे न
निकल के घर दुवारी
पहुचेव कुआ बारी
सुने निक ददरिया गाये न
मन मयूर झुम्मर नाचे न
अमलीडीह रवि 31-3-24 शाम 7 बजे ।
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