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मतावर के मज़ा
छत्तीसगढ़ म तको मतावार उत्सव मनाए जाथे
बचपन में हमर ममा गांव बुड़ेरा के मतावार म होय एक घटना के रोचक आंखिन देखी वृतांत सुनव-
गरमी छुट्टी म ममा गांव जाय के रिवाज हवे । गरमी छुट्टी म जब बुन्देली ( पिथौरा ) ल अपन गांव जुनवानी आन त पथरा के घर म हमन ल बिकट दंदियाय अउ कुहरय मार चरचर ले घुम्मरी तको उबक जाय। चुहरी चितावर म बुड़े राहन। बिजली तको गांव म न इ लगे रहिस । 1981 म बिजली आइस । ओती बुन्देली म बिजली के चिभुक लगे राहय त गाव ह हम ल इका मन ल झुंझुर -झइंहा लागय।
वैशाख पुन्नी के तस्मई चीला अउ नवा किसिम के डालडा डारे खस्ता /कार्टुन जोन महासमुन्द के बस स्टेण्ड के होटल म बेचाय ले के बिकट खान। ओसनेहे करायत अउ तिली मिझार मां घर म बनावय उहु ल झोला -झोला धर के ममा गांव बुड़ेरा के माटी अउ पटउहा वाला धर म ससन भर राहन उहा के बडे बडे तरिया बुड़े राहन ...
हमन ममा मौरा मन के बेटा बेटी माने अपन भाई -बहिनी मन ल " मर्रा तरिया म बुड़े रा " या केवल बुड़े रा कहिके अबड़ कुड़कावन ।
हमर ममा मन के आमा बगिचा घुघवाडीह ( केंवराडीह )बांधा के खाल्हे म हवे । उहा कुंआ बारी तको रहय अउ एक अकड़ खेत म ककड़ी कलिंदर साग- भाजी बोवय। बांधा के खाल्हे होय ल गरमी म तको पानी पझरय अउ बिकट साग भाजी उपजय । ममा मन के 27 पेड़ आमा अभी तक हवय। सब पेड़ के नाम तको धराय हे। गरती कोलपद्दा खोलहा लोढ़ा आमा के रुख म चढ़ डंडा पंचरंगा तको खेलन अउ केकरी फूट अउ नवरंगी खावन। कलिंदर जादा नई होय। कुंआ के कंछ बरोबर पानी पीयन बांधा मेड़ के बेल तोरन अउ गुर मिंझार शरबत पीयन
हावा बडोरा म आमा मन टूट के झर जाय त सकेल के बैलागाड़ी म खरोरा बजार ममा/ नाना संग बेचे तको जावन। बुड़ेरा म ही सबसे पहिली टेलीबीजन म सनीमा देखेन । उहा स्कूल म लगे राहय अउ हर इतवार फिलिम आवय । दुश्मन फिलिम अउ ओकर गीत आजो ले मन बसे हवय ... देखो देखो बाइसकोप देखो अउ दुश्मन दुश्मन दोस्तों से भी प्यारा हैं।
त ओ दिन के बात आय जब मै पांचवी पास हो गे रहेव अउ पुरा महासमुन्द शिक्षा जिला म दूसरा आय रहेंव
पहला मोहित नायक नाव के लड़का आय रहिस । बचपन ले उतअइल रहेव फेर थोरिक हुसियार होय के सेती गांव पारा लेके नता - गोता तको मन मोला बने मान दय । ममा मामी मन तो चरन पखारख अउ मोर भात छोड़े रवा प्रसाद खाय । रोजेच गंज के एक थारी भात परोस देय अउ हेरवाय म हेरय तको नही , मोला भात छोड़े म कन उर लगाय काबर कि बुन्देली के जे घर म राहन उहा बाबु मितान बदे राहय त उहा के सियनहा बसुदेव बबा कड़क राहय ओहर भात थारी म छोडे ले सख्त नराज हो जय। त ओकर प्रभाव रहय । मै उपराहा खा डरव तेकरे सेती बचपना ले मोट डाट दोहरी बदन के होगेव लगथे । ममा मामी मन रवा प्रसाद पाय बर जी ओड़हरे ब ईठे राहय।
का मान गौन आदर सेवा सत्कार गा सिरतोन ममा गांव सरग सरीख लगय अउ मै सिरतोन गुरु अउ देवता बन जाव !
हमन ममा के मंडल आन ... पांच ममा रायपुर के ,तीन ममा घुघवाडीह के अउ बड़ मयारुक ममा रामनाथ बुड़ेरा ओकर संगे संग गांव भर ममा ।
मा के मायका तीन गांव म हवे। नाना गौटिया बिशालदास कहत लागय तोरला नवा रायपुर अउ चटौद दो गांव के किसानी । ओकर पांच बेटा म अकलौती मोर मां। ओमन रायपुर के लेंडी तालाब पार म राहय अउ किसानी कम करय छुटपुट व्यवसाय करय अउ गौटियाई के मंजा उड़ाय।
बुड़ेरा ह मा के ममा गांव आय, ओकर तीन ममा म सबसे बडे ममा के बेटी नही एकेझन बेटा रामनाथ सोनवानी कहत लागय। ओ जमाना म फोर्ड टेक्टर , किलोस्कर पानी पंप ,12 ठन साईकिल किराया चलय अउ सांउड सिस्टम । उहचे तावा म लक्ष्मण मस्तुरिया , लक्ष्मी बंजारे , बैतलराम साहू के गीत सुनन अउ बजावन । नागिन , पाकीजा , शोले क्रांति नदिया के पार , सिलौरी बिन चटनी कैसी बनी जैसे गीत के तको डिमांड रहय । मय कभु कभु छठ्ठी बिहाव म ममा संग माईक फिट करे तीर- तखार के गांव संग म चल देव । मा के लालन पोषण पढाई लिखाई बर बिहाव सब बुड़ेरा म होइस ते पाय के प्रमुख माइके अउ ममा गांव बुड़ेरा आय।
तीसरा घुघवाडीह ह नानी के गांव राहय पुरा गांव उकरे राहय अउ गांव भर के हमन तीनो भाई भांचा राहन । तीनो जगा एक महिना के गरमी सीज़न काटन । तहा गांव म धान बोनी करवा के बुन्देली चले जान ।
हर बेर दादी सतवंतीन रोवत बिदा करय ... नान्हे नान्हे छौना धर के तुमन महुरा झन खाव चले जा बुन्देली कथे उहचे जावत हव । बदली काबर न इ करवास कहिके बाबु संग बिकट झगरा तको होवय न दाई के सगा न ददा के उहचे मगन हव का मोहिनी खावाए हे ... बड़ बबकय अउ दबकारय तको ।
सिरतोन तो आय बुन्देली म मया मोहिनी खवा के हमन ल जतने रहिन उहो के दादा दादी अउ कका काकी मन ।
हमर जनम स्थान जुनवानी भले आय फेर गोकुल वृंदाबन तो बुन्देली आय । बाबु जी ह सोनवानी परिवार संग मीतान बद के पुरा गांव के लागमानी होगे । मोर बाल्यावस्था प्रायमरी शिक्षा मोहक वन प्रांतर चारो खुट पहाड़ ले घिरे रम्य जगा म होइस ।
त बुड़ेरा म हमर ममा घर तीर के डबरी म मतावर तिहार मनाय जात रहिस ।गांव भर लोगन उमिहाय रहिन । केवट ढ़ीमर झन सौखी , चोरिया ,पेलना ढुटी धरे राहय।
मार माई पिला बाल बच्चा सहित मछरी झोलत टमड़त राहय । पुरा चिखला माते रहय । तरिया के पानी अट गे रहय अउ लद्दी म सब सनाय रहय अउ सब झन मोला जवारा बिसर्जन के भैंसा सुर असन लगय।
हमन ममा संग साईकिल म तरिया पार पहुचेन । मै आगु डंडी म बैठे राहव अउ उकर हो हल्ला अउ चिखला म सनाय उडंत घोडंत अपन चिन्हार संगी साथी ल देखत मंजा लेत टिंड़िग टिडिंग घंटी बजाय धर लेंव ।
ममा ह एक गोड़ म टेकाय खड़े राहय ... ओ दिन मय सफेद बनियान पहिने रहेंव , सब संगी मन मोला बलाय खेले बर चिखला म घोलंडी मारे बर । मोर मन होगे राहय काबर इकर संग बियारा म हमन कब्बडी खेलत दिन पहावन ।
ममा रोकिस तय इही मेर खडे राह भांचा मै एक झन से मिलके आत हव ... तुलमुलहा तो रहव दादी के कहे अनुसार बरजे बात नइ मानव... महु ह पार ल उतर अउटे पानी तीर जाके पथरा म खड़ा होगेंव! तभेच एक झन ह अपन संगी जोन टुकना धरे ओकर फेकत मछरी ल बिनय अय धरय । तेन ल मछरी टमड़त निहरे कहिस - जबर बाबर धराय ले बने धरबे कहिके फेकिंस ओकर जोर से चिचियाई ल सुन के मछु सावधान हो देखे लगेंव ... ओकर बेला कमतीआगे अउ ओकर फेके मछरी ह रटाक ले मोर पेट म परिस ..अउ खाल्हे जमीन म गिर गिस । मोर बनियान पुरा सना गे ... अउ लोगन के एती चिहुर परगे ... सांप सांप भागो -भागो ... उहु ल भीड़ ह सलमलात बांबर समझ डंडा म पीट डरिस ।
सिरतोन ओहर जल डोमी राहय कि ढोढिया अब तक पता नही फेर मय सुकुड़दुम हो गेंव। भारी डर लगाय ... ममा ओला बड़ खिसयाइस अउ ओहर दुसर डहर भाग गे।
थोरिक देर बाद मोला समझा बुझा के जहुरियां टूरा मन मोला लेगे अउ घोंडा तक दिस फेर ओदिन मोला सिरतोन कहत हव मज़ा नइ आइस ।भलुक डरडरावन लगिस,फेर लोगन बहुत ही आनंदित रहिस । अइसन सार्वजनिक आन्दोत्सव मतावर के मज़ा अउ सजा मय ए उमर म अउ कहु नई देखेंव न पाएव ।
जय जोहार
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