Sunday, March 24, 2024

पौनी - पसारी

पांच पौनी मे ब्राह्मण ,रावत,  नाई ,धोबी और मेहर+मोची आते हैं। इनके अपने गंवई  + पारा बटे हुये थे और एक दूसरे के क्षेत्र का अतिक्रमण नही करते थे। प्रमुख कृषक समुदाय  तेली कुर्मी  सतनामी लोधी अघरिया आदि लघु + बडे किसान थे जो पौनियों / श्रमिकों को  रोजी - रोजगार देथे। बाकी कुम्हार  लोहार सोनार कहार कलार  मरार केवट ढीमर मन दैनंदिनी समान  बनाय अउ साग भाजी मछरी कोतरी उपजा के जीवन यापन करय ।
    एक तरह से सीमित संसाधन अउ जरुरत थे  गांव  पहले पहल आत्म निर्भर थे। 
   आजादी के आसपास  अन्य प्रांत के लोगो का आव्रजन हुआ और वही लोग  नगरी करण और औद्योगिकीकरण को बढ़ाया। इनकी आयातीत संस्कृति  ने यहां की  ग्रामीण जन -जीवन को प्रभावित कर सामाजिक ताने +बाने को  तहस नहस कर दिया । वनांचलों में गोड़ कंवर बिंझवार  माडिया ध्रुवा हल्बा उराव और महार कलार रहते थे। स्वच्छंद जीवन शैली वाली अरण्यक संस्कृति थे।
   आधुनिक शिक्षा और संवैधानिक व्यवस्था से  पौनियों और श्रमिक समुदाय का शोषण भी थमा और उनमे जन जागरण भी आया ।

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