सनातन शब्द का प्रयोग बुद्ध ने अपने धम्म की विशेषता और महत्ता को इंगित करते हुए कहे।
"एतो धम्मों सन्नतनों "
यह धम्म सनातन हैं न कि सनातन धर्म है ।
सनातन शब्द विशेषण के रुप में प्रयुक्त न कि संज्ञा । धम्म संज्ञा है और उनकी विशेषण सनातन हैं। पर लोग है कि सनातन को संज्ञा बनाने पर तुले है हैं।
यह धम्म या मार्ग या जीवन पद्धति है जो सदा के लिए शास्वत हैं क्योकि इन्हे बहुत ही गहराई से सोच -विचार कर मानव कल्याण के लिए प्रवर्तन किया गया हैं।
चातुवर्ण्य या वैदिक पुराण काल मे विकसित पद्धतियां या मत पंथ आदि तो कुछेक वर्गो के हितार्थ ही हैं। वहां तो वर्ग संघर्ष और जरा सी बातो खासकर जर जोरु जमीन जैसे नश्वर वस्तुएं यहा तक झुठी शान मर्यादा आदि के लिए भी रक्त रंजित खूनी दास्तान हैं।
बहुजन हिताय बहुजन सुखाय के निमित्त बौद्ध धम्म ही सनातन धम्म है न कि चंद लोगो के निमित्त ईजाद की गई धर्म।
धर्म और धम्म दोनो अलग शब्द है और दोनो के अर्थ भी अलग -अलग है।
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